CBSE Study Guide for Class X Students
CBSE Study Guide for Class X Students
विषय-विशेषज्ञ-सविवि
i
ि गादशाक ाः
ii
FOREWORD
Dear Students,
Kendriya Vidyalaya Sangathan, Gurugram Region has made concerted efforts to prepare its own study
material for the students of Classes IX to XII for the academic session 2022-23. A lot of hard work has gone into
the preparation of this material. Our handpicked teachers have worked with great dedication and
perseverance under the guidance of our Principals so that the users- students and teachers are immensely
benefitted from this support material.
It is essential for all teachers and students for understanding the syllabus of subject, pattern of question
papers, types of questions, minimum word limit for answering questions, latest design of CBSE question
papers for 2023-24 for the better preparations. Acquiring knowledge is important but it is more important to
utilize the acquired knowledge effectively in the given situations or circumstances. This support material is
examination oriented and provides all necessary inputs and directions. Once you go through this study
material, you will be able to understand the process and purpose of examination in entirety.
I do believe that this study material will be of enormous help to all the teachers for planning and
conducting teaching-learning activities especially during remedial classes. I would urge upon the users to go
through the specifications of examination very carefully as there are frequent and noteworthy changes in their
exam pattern especially, after Covid-19 outbreak.
Teachers are also requested to ensure that the students are updated with the CBSE pattern, value points
of the chapters (Marks allotted to each unit), types of questions, weightage to units/sections etc. This study
material must be used as a tool for sufficient practice of the students. The purpose of this Study Material will
only be met if the teachers will imbibe a progressive and vibrant work ethic in involving this material in their
regular classroom transaction. It is said that: -
वनकृ ष्ट लोग विघ्रों के भय से कोई क या आरम्भ नहीं करिे हैं | िध्यि लोग क या आरम्भ िो कर देिे हैं ककन्िु विघ्र आने पर बीच िें
ही छोड़ देिे हैं | श्रेष्ठ लोग क या आरम्भ करने क ब द ब र-ब र विघ्रों के आने के ब िजूद भी उसे बीच िें नहीं छोड़िे हैं |
(Incapable people do not start the work due to the fear of facing difficulties in the way. Mediocre people start
the work but leave it half way due to difficulties. But Good people who once start the work, do not leave it,
despite lot of difficulties they face in their way.)
iii
प्र च या सांदश
े
विनीि परशीर
प्र च या
कें िीय विद्य लय एन एच
पी सी सैंज(कु ल्लू)
िुझे यह सूवचि करिे हुए प्रसन्नि की अनुभूवि हो रही है कक कक्ष नििी और दशिी के
सांस्कृ ि विषय की वशक्षण स िग्री िैय र हो गई है। सांस्कृ ि भ ष प्र य: सभी भ रिीय
भ ष ओं की जननी ि नी गई है। देिि णी सांस्कृ ि िें भ रिीय सांस्कृ वि एिां इविह स की
अिूल्य वनवध सि वहि है। इस सुदीर्ा परम्पर की गौरि नुभूवि एिां भ वषक अध्ययन के
वलए हि रे विद्य लयों िें कक्ष नििी और दसिीं िें सांस्कृ ि विषय को विकल्प के रूप िें
पढ य ज ि है। प ठ्य-पुस्िकें विद्य र्थायों के वलए एक परम्पर गि स िग्री हैं परन्िु
छ त्र-कें किि वशक्ष प्रण ली के दौर िें एक आकषाक और रुवचपूणा वशक्षण स िग्री की
आिश्यकि की अनुभूवि भी होिी है । ऐसी वशक्षण स िग्री जो विद्य र्थायों को स्ि ध्य य
के वलए प्रेटरि कर सके और उनकी रुवच की उद्दीपक भी बने। प्रस्िुि वशक्षण स िग्री
विवभन्न विषय विशेषज्ञों के द्व र वनर्िाि की गई है। परीक्ष की दृवष्ट से बचों ों के सरल एिां
सहज़ बोध हेिु इस वशक्षण स िग्री िें यथ स्थ न ध्य िव्य वबन्दु, अभ्य स-क या,
उद हरण, सांभ विि प्रश्न, एिां उनके उत्तरों क भी सि िेश ककय गय है। सांस्कृ ि के
विषय ध्य पकों से अनुरोध है कक िे ि र्षाक-परीक्ष से पूिा इस वशक्षण स िग्री को
विद्य र्थायों के वलए परीक्ष नोट्स के िौर पर प्रयोग करें एिां उनक आिश्यक ि गादशान
भी करें ।
िुझे पूणा विश्व स है कक विवभन्न विषय-विशेषज्ञ वशक्षकों के पटरश्रि से वनर्िाि यह
वशक्षण स िग्री विद्य र्थायों के वलए रुवचपूणा अध्ययन िें ल भक री होगी और श्रेष्ठ
परीक्ष पटरण ि पटरण ि कदल ने िें भी सह वयक बनेगी।
प्र च य ा
विनीि परशीर ।
iv
सम्प दकीयि्
भ ष्यिे व्यिह र कदषु प्रयुज्यिे इवि भ ष , ि निाः स्ििनवस विद्यि न न् विच र न्
भ िन ाः अनुभूसिां च अथायुक्तैाः ध्िवनवभाः वलवखिसङ्के िैश्च अवभव्यक्तयवि स भ ष । िस्िुिाः
सांस रे द्वयोाः ि नियोाः िध्ये परस्परां भ ि न ां प्रकिन य भ ष विटरक्तां न वस्ि अन्यि् सरलां
स्पष्टां च स धनि् । लोके अनेक ाः भ ष ाः सवन्ि य सु सांस्कृ िभ ष प्र चीनिि भ ष इवि
िन्यिे। सांस्कृ िभ ष य ां अस्ि कां भ रिदेशस्य विस्िृिां ज्ञ नविज्ञ नां सि वहिां ििािे । अस्य िेि
भ ष य ां चत्ि राः िेद ाः,पुर ण वन, ब्र ह्मणग्रन्थ ाः, उपवनषदाः, स्िृियाः अनेक नेके क व्यग्रन्थ :
च वप ििान्िे । सांस्कृ िभ ष य ाः विषये इयिुवक्ताः प्रवसद्ध एि-
भ रिदेशस्य सांस्कृ िे: ज्ञ न य सांस्कृ िभ ष य ाः ज्ञ नां आिश्यकि् अवस्ि। छ त्रेषु सांस्कृ िस्य
आध रभूिज्ञ न य विविधकौशलप्रिधान य च सांस्कृ िां प ठ्यिे।
दशिी कक्ष य ाः परीक्ष दृष्य सत्रि् 2022-23 कृ िे अध्ययनस िग्री प्रस्िुि ििािे। अस्य ां
स िग्रय ां वनि ाणे अनेकसांस्कृ िवशक्षक न ां िहत्त्िपूणं योगद नां ििािे । छ त्रवहि य सरलिय
अिबोधन य च यत्र-ित्र वहन्दीभ ष य : अवप प्रयोगाः विवहिाः । इयां अध्ययनस िग्री
परीक्ष य ां छ त्रेभ्याः अिश्यिेि ल भक टरणी भविष्यिीवि अस्ि कां विश्व साः ।
जगबीर ससांह
सांस्कृ ि वशक्षक (के .वि. सैंज)
v
प्रश्नपत्र-प्र रूपि् ( BLUE PRINT )
सांस्कृ िि् (कोड सङ््य -122)
सियाः 3 होर ाः कक्ष - दशिी (X) पूण ङ्
ा क ाः 80
vi
(भ वषक-क याि)्
13 पद्य ांशाः क) अवि-लर्ु-उत्तर त्िकौ ½ x2 1
ख) पूणाि क्य त्िकाः 1x2 2
1x2 2
ग) लर्ु-उत्तर त्िकौ
(भ वषक-क याि)्
14 न य ांशाः क) अवि-लर्ु-उत्तर त्िकौ ½ x2 1
ख) पूणाि क्य त्िकाः 1x2 2
1x2 2
ग) लर्ु-उत्तर त्िकौ
(भ वषक-क याि)्
15. प्रश्न-वनि ाणि् पूणाि क्य त्िक ाः 1X 4 4
16. श्लोक-अन्ियाः अथि पूणाि क्य त्िक ाः 1x4 4
भ ि थााः
17 र्िन क्रि नुस रां पूणाि क्य त्िक ाः ½x8 4
ि क्यलेखनि्
18. प्रसांङ्ग नुकूलि् लर्ु-उत्तर त्िक ाः 1X3 3
अथाचयनि्
सम्पूणाभ राः- 80
वनदेश ाः-
1. ग) भ वषकक य ाय ित्त्ि वन-
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vii
अनुक्रिवणक
viii
1. अपटिि – गद्य श
ां ाः/अनुच्छेदाः
अपटिि िबोधने 80-100 शब्दपटरवििाः एकाः अपटिि गद्य ांशाःदीयिे। िें गद्य ांशां पटित्ि
प्रदत्तप्रश्न न ि् उत्तर वण सांस्कृ िे लेखनीय वन।
एकपदेन पूणि ा क्येन च शुद्धोत्तरलेखन य ध्य िव्य ाः विषय ाः-
1. प्रश्नि चकपदि् ककि् इवि प्रथिां वचन्ियन्िु।
2. प्रश्नस्य अन्यपद वन अनुच्छेदस्य कवस्िन् ि क्ये सवन्ि इवि अिगच्छन्िु। िवस्िन् ि क्ये
प्रश्नि चकपदस्य सलांग-विभवक्त-िचन नूस नां यि् पदि् अवस्ि िदेि उत्तरि् भिवि।
3. प्रश्नि चकपद न ि् आध रे ण प्रश्न न ि् उत्तर वण सलांग-विभवक्त-िचन नुस रां वलखन्िु।
शीषाकलेखनि्
1. शीषाके एकपदि् ि पदद्वयां ि पदत्रयां ि एि भििु।
2. शीषाके अनुच्छेदस्य विषय ध टरिि् प्रथि -विभवक्त पदि् षष्ठीविभवक्तपदेन सह
प्रथि विभवक्तपदां ि वलखि। यथ -
प्रथि विभवक्त पदि्- भ रिि्/ पयािनि्/ व्य य िाः/ सद च राः/ कदनचय ा आदयाः।
षष्ठीविभवक्तपदेन सह प्रथि विभवक्तपदि्- पय प
ा रणस्य रक्ष / बुद्धाःे बलि्/ भ रिस्य
सांस्कृ विाः/ क वलद सस्य रचन इत्य दयाः।
यथ वनदेशि् उत्तरि- (भ वषकक याि)्
अवस्िन् ि क्ये किृापदि् ककि्/ कक्रय पदि् ककि्?
अवस्िन् ि क्ये/ अनयोाः पदयोाः विशेषणपदां ककि्/ विशेष्यपदि् ककि्
अवस्िन् अनुच्छेद.े ........... इवि पदस्य सि न थापदां ककि्/ विलोिपदां ककि्?
इत्येिां विध ाः प्रश्न ाः एि भिवन्ि।
1
I. एकपदेन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
(i) के ष ां सांगविाः सत्सांगविाः भिवि?
(ii) सांगविाः कस्िै अवनि य ा एि अवस्ि?
(iii) कु त्र सज्जन ाः दुजान ाः च ििान्िे?
II. पूणि
ा क्येन उत्तरि
(i) सत्सांगेन िनुष्याः ककां ककां करोवि?
(ii) कु सांगिौ पवित्ि िनुष्याः ककां प्र प्नोवि?
(ii) साः पिनि गे नूनां पिवि अत्र ‘साः’ इवि सिान िपदां कस्िै प्रयुक्ति्?
(क) कीि य (ख) गुण य
(ग) िनुष्य य (र्) प्रभ ि य
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IV. गद्य श
ां स्य सिुवचिां शीषाकां वलखि।
3
II. पूणि
ा क्येन उत्तरि
(i) स्िोदरभरणरि ाः िनुष्य ाः कीदृश ाः भिवन्ि?
(ii) प्रकृ विाः परोपक र थं ककां करोवि?
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III. यथ वनदेशां उत्तरि-
(i) (र्) नद्याः
(ii) (ख) जलि्
(iii) (ख) पुण्य त्ि
(iv) (क) िृक्ष ाः
IV. उवचिां शीषाकां वलखि- ‘परोपक राः सिोत्तिाः धिा:’।
II. पूणि
ा क्येन उत्तरि
(i) ि ि ाल पप्रसङ्गे र ज सांन्य वसनां ककि् अपृच्छि्?
(ii) सांन्य वसनाः बवहगािन न्िरां नृपस्य कीदृशी अिस्थ अभिि्?
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III. यथ वनदेशि् उत्तरि : - (के िलां प्रश्नत्रयि् )
(i) ह वनाः अस्य पदस्य सि न थाकां पदि् अनुच्छेद ि् वचत्ि वलखि।
(अ) प्रभ िाः (ब) पुण्यि्
(स) क्षयाः (द) कृ िे
(iv) “भिि एिि् कीदृशां करणीयि् उपकदश्यिे?” अवस्िन् ि क्ये ‘भिि ’ इवि सिान िपदां
कस्िै प्रयुक्ति्?
(अ) सांन्य वसने (ब) र ज्ञे
(स) प्रज यै (द) अत्य च र य
II. पूणि
ा क्येन उत्तरि
(i) भीिाः प्रध नन विकाः ककि् उक्ति न् ?
(ii) ह्यूनत्स ङ्गाः भ रिे अनेकेषु स्थलेषु अटित्ि ककां ककां ज्ञ िि न्?
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III. यथ वनदेशि् उत्तरि : (के िलां प्रश्नत्रयि्)
(i) ‘साः भ रिे अनेकेषु स्थलेषु अटििि न्’ अवस्िन् ि क्ये किृापदां ककि्?
(क) साः (ख) अटििि न्
(ग) अनेकेषु (र्) स्थलेषु
(ii) “एिेष ां ग्रन्थ न ां, िस्िून ां च रक्षणां भिि ां किाव्यि्” इवि अवस्िन् ि क्ये विशेषणपदां
वचत्ि वलखि।
(क) एिेष ां (ख) िस्िून ां
(ग) ग्रन्थ न ां (र्) भिि ि्
(iii) ‘िस्िै स्ि नुभिां वनिेकदिि न्।’ अवस्िन् ि क्ये ‘िस्िै’ इवि सिान िपदस्य स्थ ने सांज्ञ पदां
ककां भविष्यवि?
(क) न विकि् (ख) न यकि्
(ग) हष ाय (र्) ह्यूनत्स ङ्गि्
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III. यथ वनदेशां उत्तरि-
(i) (क) साः
(ii) (क) एिेष ां
(iii) (ग) हष य
ा
(iv) (क) झटिवि
IV. उवचिां शीषाकां वलखि- ‘चीन देशीय य त्री ह्यूनत्स ङ्गाः
II. पूणि
ा क्येन उत्तरि
(i) भ रिद्व रस्य शोभ के के िधान्िे?
(ii) कै ाः प्रक वशिां भ रिद्व रां दूर देि शोभिे?
9
(स) पयािक ाः (द) सिे
(iv) ‘इदि् ऐविह वसक स्थलां दृष्ट्ि जन ाः नििस्िक ाः भिवन्ि’ इवि ि क्ये ‘इदि् ‘
सिान िपदां कस्िै प्रयुक्ति्?
(अ) स्ि रक य (ब) स्थल य
(स) भ रिद्व र य (द) द्व र य
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2. पत्रलेखनि्
पत्रि् अस्ि कां भ िन ां विच र ण ि् अवभव्यक्तये उत्कृ ष्टां ि ध्यिि् अवस्ि । दूरे
वस्थि न ां सांबन्धीन ां वित्र ण ां ि कु शल न्िेषण य अथि िेष ां कृ िे अस्ि कां विशेष न्
ज्ञ पवयिुि् अवप च क य ालय सम्बवन्धक य ाय च ियां पत्र ण ां प्रयोगि् कु िा : । एिेष ि्
उपयोग न ि् आध रे ण पत्र ण ां वद्वध विभ गाः कृ िाः अवस्ि
अ) औपच टरकां पत्रि् - क य ालय सम्बवन्ध व्यिह र य यि् पत्रि् वल्यिे िि् औपच टरकां
पत्र भिवि।
आ) अनौपच टरकां पत्रि् - अस्ि कां सम्बन्धीन ां वित्र ण ां ि पटरवचि अपटरवचि व्यवक्तन ां
कृ िे यि पत्रां वल्यिे यि् अनौपच टरकां पत्रां भिवि ।
प्रण ि ाः, सह, कोलक ि िाः, स्य ि्, पञ्चशिि्, वपिृिय ााः, 110019, भुिनेश्वरि्, प्रथिसत्रीय , िि, पुत्री
छ त्र ि साः
र जकीयाः विद्य लयाः
(i)_________
विवथाः 25-2-20XX
ि ननीय ाः (ii)__________,
स दरां प्रणि वि।
भििाः पत्रां प्र प्ति्। िि (iii)_________ परीक्ष सि प्त । परीक्ष पत्र वण अविशोभन वन
ज ि वन। य िि् परीक्ष पटरण िाः न आगच्छवि ि िि् आग विि सस्य प्रथिसप्त हे
(iv)_________ विद्य लयस्य अध्य वपक ाः अस्ि न् शैवक्षक भ्रिण य (v)_________
नेष्यवन्ि। अहि् अवप ि वभाः (vi)_________ गन्िुि् इच्छ वि। एिदथाि् िय
कक्ष ध्य वपक यै (vii)_________ रूप्यक वण द िव्य वन सवन्ि। अिाः यकद अनुिविाः
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(viii)_________ िर्हा अहि् अवप गच्छेयि्। ज्ञ निधान थाि् एिि् अविटरच्य अिसरां च
पश्य वि। अिाः कृ पय उपयुाक्त ां र सशां प्रेषवयत्ि ि ि् अनुगृहीि ां कु िान्िु।
सिेभ्याः िि (ix)_________ वनिेदनीय ाः।
(2) सौम्याः कदल्ली नगरे िसवि। िस्य वित्रां सुिविाः असिप्रदेशे िसवि। सौम्येन
गणिन्त्रकदिसस्य शोभ य त्र य ां भ गाः गृहीिाः। साः स्ि नुभि न् स्िवित्रां सुिसिां प्रवि पत्रे
वलखवि। िञ्जूष िाः पद वन विवचत्य पत्रां पूरयन्िु।
िञ्जूष ाः- वपिरौ, गृहीिाः, निस्िे, िि, सुहृद्, र जपथि्, ि द्यिृन्दि्, लोकनृत्य वन, गणिन्त्रकदिस
सि रोहस्य, प्रिुख-सञ्च लकाः।
वप्रयसवख सुििे,
(i) ____________
अत्र कु शलां ित्र स्िु। अहां (ii) ____________ सज्ज य ां व्यस्िाः आसि्। अिाः विलम्बेन िि
पत्रस्य उत्तरां दद वि। अवस्िन् िषे िय वप गणिन्त्रकदिसस्य शोभ य त्र य ां भ गाः (iii)
____________।
अस्ि कां विद्य लयस्य (iv) ____________ र जपथे स्िकल य ाः प्रदशानि् अकरोि्। अहां
गरब नृत्यस्य (v) ____________ आसि्। छ त्र ण ां र ष्ट्रग नस्य ओजस्िी ध्िवनाः (vi)
____________ गुवञ्जिि् अकरोि्। स्िर ष्ट्रस्य सैन्यबल न ां पर क्रिप्रदशान वन
विवचत्रिण ावन पटरदृश्य वन (vii) ____________ च दृष्ट्ि अहां गौरि वन्ििाः(viii)
____________ ब ल्य िस्थ य ाः स्िप्नाः ित्र पूज ि
ा ाः।
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(ix) ____________ िन्दनीयौ।
उत्तर वण:
(i) निस्िे (ii) गणिन्त्रकदिस सि रोहस्य (iii) गृहीिाः(iv) ि द्यिृन्दि्(v) प्रिुख-सञ्च लक: (vi)
र जपथि् (vii) लोकनृत्य वन (viii) िि (ix) वपिरौ (x) सुहृद्।
(3) विक साः नैनीि लस्य एकवस्िन् विद्य लये पिवि। साः छ त्र ि स ि् अिेटरक -ि स्िव्यां
वित्रां जोसेफ नैनीि लविषये पत्रि् एकां वलखवि। िञ्जूष िाः पद वन विवचत्य पत्रे
टरक्तस्थ न वन पूरयन्िु।
िञ्जूष ाः- भिि ि्, दृष्ट्ि , नैनीि लि्, अनुभिेि्, वित्र, प्रकोष्ठ न ि्, वहिीभूिि्, निो निाः,
कदनद्वय नन्िरि्, स्के टिांगप्रेविणाः।
छ त्र ि साः
(i) _______
विवथ: 20-01-20XX
13
सधन्यि दि्,
उत्तर वण:
(i)नैनीि लि् (ii)वित्र (iii)निोनिाः (iv)कदनद्वय नन्िरि् (v) वहिीभूिि् (vi) स्के टिांगप्रेविणाः (vii) दृष्ट्ि
(viii) प्रकोष्ठ न ि् (ix) अनुभिेि् (x) भिि ि्।
(4 )सुज ि कदल्लीिह नगरे िसवि। िस्य ाः सखी कदव्य िह देिन् चेन्नईनगरे वनिसवि।
सुज ि य : विद्य लये पय ािरणविषये एक गोष्ठी ज ि । गोष्ठी िणायन्िी सुज ि कदव्य यै
पत्रि् एकां वलखवि। िञ्जूष िाः सिुवचिपद वन वचत्ि पत्रां पूरयन्िु।
िञ्जूष ाः-
सुज ि , नदीजलेषु, स्नेहवस्न्धे, पय ािरणविषये, न्यूनििाः, िृक्ष ाः, रक्षण य, कदव्य िह देिन्,
िङ्कनीय वन, जलप्रदूषण-वनि रण य।
ह्याः अस्ि कां विध्य लये (ii) _______ एक िहत्त्िपूण ा गोष्ठी अभिि्। ित्र िह नगरे षु
िधाि नां प्रदूषणां दृष्ट्ि ‘पय ािरणस्य (iii) _______ उपय न ां विषये चच ा अभिि्। गोष्ठ्य ां
िक्तृ ण ां विच रस राः आसीि् यि् गृह ि् बवहाः, (iv) _______ रथ्य सु च अिकराः न
क्षेपणीयाः। (v) _______ सिये-सिये जलशुवद्धाः करणीय । ि गेष,ु उद्य नेषु, विद्य लयेषु च
अवधक वधकां (vi) _______ आरोपणीय ाः। जनज गरण थं “िृक्षो रक्षवि रवक्षिाः”, “जलि् एि
जीिनि्” एि दृश वन िह ि क्य वन पिवट्क सु वलवखत्ि यत्र ित्र (vii) _______।
14
ध्िवनप्रदूषणां वनि रवयिुां ध्िवनप्रस रकयन्त्र ण ां (viii) _______ प्रयोगाः करणीयाः। अवस्िन्
विषये भित्य ाः विद्य लये ककां ककां भिवि इवि ि ां विस्िरे ण वलखिु।
वपिरौ िन्दनीयौ।
भित्य ाः सखी,
(ix) _______
िेष्टनि्
(x) _______
50/1, चेन्न स्ि िी नगरि्, चेन्नई
उत्तर वण:
(i) स्नेहवस्न्धे (ii) पय ि
ा रणविषये (iii) रक्षण य (iv) नदीजलेषु (v) जलप्रदूषण-वनि रण य (vi) िृक्ष ाः
(vii) िङ्कनीय वन (viii) न्यूनििाः (ix) सुज ि (x) कदव्य िह देिन्।
(5) भि न् अरविन्दाः। ग्रीष्ि िक शे भ्रिण य स्िवित्रां प्रवि वलवखिि् इदां पत्रां िञ्जूष य ां
प्रदत्तैाः उवचिैाः शब्दैाः पूरवयत्ि पुनाः वलखिु।
िञ्जूष -
वित्रैाः, गौरि, प्रथिश्रेण्य ,ां ग्रीष्ि िक शे, उत्तीणााः, पिािशृांखल ाः, अिलोकनां, ित्र स्िु, सि च राः,
चरणयोाः
आनन्दविह राः
निकदल्लीिाः
वप्रय वित्र (i)………
विवथ: ………
निोनिाः।
अत्र कु शलां (ii) …………..। भििाः पत्रि् पटित्ि वचत्ति् प्र सीदि्। अधुन (iii) …………
अवस्ि यि् अहां (iv) …………उत्तीणााः अभिि्। आश वस्ि त्ििवप उत्तिश्रेण्य ां (v)
15
………… भविष्यवस। अहां (vi………… भिि ां सिीपि् आगन्िुि् इच्छ वि। अहां (vii)
………… सह ग्रीष्ि िक शां िसूरीनगरे य पवयष्य वि। ित्र वहि च्छ कदि ाः
(viii)………… जन न् आकषायवन्ि। अहिवप ित्र प्र कृ विकदृश्यस्य (ix) .. . किुाि्
इच्छ वि। गृहे ि ि -वपत्रोाः (x) …… िि प्रण ि ाः।
भिदीयां वित्रि्
अरसिांदाः
उत्तर वण –
i) गौरि (ii ) ित्र स्िु ( iii) सि च राः ( iv) प्रथिश्रेण्य ि् ( v) उत्तीण ाःा ( vi ) ग्रीष्ि िक शे (Vii
) वित्रैाः (viii) पिाि श्रृख
ां ल ाः (iX ) अिलोकनां (x) चरणयोाः
िञ्जूष -
िनोयोगेन, यो्य ाः, प्रथिाः, अध्य पक ाः, आां्लभ ष य ाः, निोनिाः, ित्र स्िुाः, विद्य लयस्य,
िुजफ्फरपुरि्, विद्य लयाः
परीक्ष भिन ि्
(i)…………………
ििवित्रि्
धनेश
16
उत्त वण :-
i) िुजफ्फरपुरि् ii) निोनि iii)ित्र स्िु (iv) विद्य लयस्य ( v ) विद्य लयाः (vi) अध्य पक ाः (vii)
िनोयोगेन ( viii) यो्य ाः (ix) प्रथिाः (x) आां्लभ ष य ाः
(1) अस्िस्थि य ाः हेिोाः कदनद्वयस्य अिक श थाि् प्रध न च या प्रवि वलवखिे प्र थान पत्रे
िजूष य ाः पद वन वचत्ि टरक्तस्थ न वन पूरयि-
िञ्जूष - दूरीकिुाि,् ह वनाः, धन्यि दाः, कदनद्वयस्य, प्रध न च य ााः, असिथााः, ि ि्, िीव्रज्िरे ण,
वनिेदनि्, 20-8-20…
परीक्ष भिनि्
आदरणीय ाः (i)________।
विषय- अिक शप्र प्तये वनिेदनि्।
सविनयां (ii)________ अवस्ि यि् अहां (iii)________ आक्र न्िाः अवस्ि। एिस्ि ि् क रण ि्
विद्य लयि् आगन्िुि् (iv)________ अवस्ि। अिाः िह्यि् (v)________ अिक शां प्रद य
(vi)________ अनुगृह्णन्िु। एियोाः कदिसयोाः अध्ययनस्य य (vii)________ भविष्यवि
ि ि् (viii)________ यविष्ये। (ix)________
भिदीयाःवशष्याः
क, ख, ग
● विवथाः (x)________
उत्त वण :-
i. प्रध न च य ााः, ii. वनिेदनि्, iii. िीव्रज्िरे ण, iv. असिथााः, v. कदनद्वयस्य, vi. ि ि्, vii. ह वनाः,
viii. दूरीकिुि
ा ,् ix. धन्यि दाः, x. 20-8-20….
( 2). विद्य लयस्य प्रध न च य ं प्रवि वलवखिे शुल्कक्षि प्र थान पत्रे िञ्जूष य ाः सिुवचिपदैाः
टरक्तस्थ न वन पूरयि-
िञ्जूष -
सधन्यि दि्, भित्याः, वशक्ष शुल्कप्रद नि्, ििानि्, वलवपकाः, िहोदय ाः, प्रध न च य ााः सदस्य ाः,
सविनयि्, स्िीकृ विि्
17
परीक्ष भिन ि्
(iii) _______________ वनिेदनि् अवस्ि यि् िि वपि एकवस्िन् सिाक रविद्य लये (iv)
_______________ अवस्ि। िस्य ि वसकां (v) _______________ वद्वसहस्र रूप्यक वण
अवस्ि। अस्ि कां पटरि रे (vi) _______________ सवन्ि। अवस्िन् सीवििे ििाने
विद्य लयस्य (vii) _______________ अिीि कटिनि् अवस्ि। कृ पय िदथं (viii)
_______________ प्रद य (ix) _______________ ि ि् अनुगृह्णन्िु।
(x) _______________
भिदीय
आज्ञ क टरणी वशष्य
क, ख, ग
विवथ : 24-7-20……..
उत्त वण :-
(i) प्रध न च य ााः (ii) िहोदय ाः (iii) सविनयि् (iv) वलवपकाः (v) ििानि् (vi) सदस्य ाः
(vii) वशक्ष शुल्कप्रद नि् (viii) स्िीकृ विि् (ix) भित्याः (x) सधन्यि दि्
(3) भििाः/भित्य ाः न ि आनांद : I भिि : पुत्राः के न्िीय विद्य लये पिवि । भििाः
स्थ न न्िरणां ज िि् इवि हेिोाः पुत्रस्य विद्य लय स्थ न न्िरण य प्र च यं प्रवि वलवखिे
प्र थान पत्रे िञ्जूष य ां प्रदत्त शब्दै : टरक्त स्थ न वन पूरवयत्ि पुनाः वलवखि ।
िञ्जूष –
अधुन , पटरि रसदस्य न्, विश्व सप त्रि्, पिविाः, भििाः, अहि्, 10/12/2021, अनुग्रह्ण िु,
स्थ न न्िरणि्, िन्दन वन
18
हैदर ब दिाः
(i)....................
आदरणीय प्र च यािहोदय !
स दरां (ii ) …………. I
िि पुत्राः सुकेशाः ( iii) …………. विद्य लये अष्टि कक्ष य ां 'ब' विभ गे ( iv) ………….
I िस्य पञ्जी करणसां्य 3483 अवस्ि । ( V )................... हैदर ब द् प्रदेशस्थे भ रिीय
वित्तकोशे क यावनरिाः अवस्ि । ( vi )............... हैदर ब द्िाः बङ्गलूरू नगरां प्रवि िि
(vii)…………….. ज िि् अवस्ि । िय सह िि (Viii)…………… अवप अहां नूिनां
स्थ नां प्रवि नेिुि् इच्छ वि । अिाः िि पुत्रस्य स्थ न न्िरण पत्रां प्रद य िि्
(ix)................... इवि स दरि् प्र थाय वि ।
सधन्यि दि्
भििाः ( X)................
आनन्दाः
उत्त वण :-
i)10/12/2021 (ii) िन्दन वन (iii) भििाः (iv) पिवि (v) अहि् (vi) अधुन (vii) स्थ न न्िरणि्
(viii) पटरि रसदस्य न् (ix) अनुग्रह्ण िु (x) विश्व सप त्रि्
4 ). भििाः/भित्य ाः न ि वनविष : I ि र णस्य ां वप्रयदर्शानी विध लये पिवि । स्क उि् एिां
ग इड् वशविरे भ गि् ग्रहीिुि् प्रच यं प्रवि वलवखिे प्र थान पत्रे िञ्जूष य ां प्रदत्त शब्दै :
टरक्तस्थ न वन पूरवयत्ि पुनाः वलखि ।
िञ्जूष –
अस्ि कि्, वनिेदय वि, वनविष , अहि्, िृिीयसोप नवशविरे , सि दरणीय, प्र थाय वि, ि र णसीिाः,
ि सस्य, अिसरि्
(i).......................
कदन ङ्क……………
19
सविनयां (iii)............ यि् स्क उि् एिां ग इड् सांर्िनेन अस्य (iv)............... पञ्चदश -
कदन ङ्क ि् आरप्स्य ि णे (V)…………….. अहां भ गां ग्रहीिुि् इच्छ वि । षष्ठ कक्ष िाः
(vi)................. अवस्िन् सङ्र्िने क यारि अवस्ि । भविष्यक ले र ष्ट्रपवि पुरस्क रां प्र प्य
(Vii) ………….. विद्य लयस्य कीर्िं सांिधावयिुां (Viii ).......................... दद िु इवि
स दरां सविनयां च (ix)................ ।
भिि ि् आज्ञ क टरणी छ त्र
(x)...................
उत्त वण :-
i) ि र णसीि : (ii ) सि दरणीय ( iii ) वनिेदय वि (iv) ि सस्य (v) िृिीयसोप नवशविरे (vi )
अहि् (vii) अस्ि कि् ( viii) अिसरि् ( ix) प्र थाय वि (x) वनविष
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20
3. वचत्रिणानि्
िज्जूष -
आरक्षक ाः, हस्िे, भुशण्ु डय:, अिरोधक ाः, सुरक्ष व्यिस्थ , र वष्ट्रयध्िजाः, उचों स्िम्भ ाः,
र जपथाः, हटरिाः, िृक्ष ाः, सरवणाः, सरवणि्, उभयिाः, स्िम्भेषु
उत्तरि् –
(i) र जपवथ सुरक्ष व्यिस्थ अविकिोर अवस्ि ।
21
(ii) सरवणि् उभयिाः हटरि ाः िृक्ष ाः सवन्ि ।
(v) स्िम्भेषु र वष्ट्रयध्िजाः अवस्ि।
(ii) आरक्षक न ि् हस्िेषु भुशण्ु डयाः सवन्ि ।
(iv) र जपवथ यथोवचत्ति् अिरोधक ाः अवप सवन्ि ।
(2) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
िज्जूष -
विद्य लयाः, प्रध न च या:, अध्य वपक , छ त्र , ध्िवनविस्ि रकयन्त्रि्, प्र थान सभ , सुन्दरि्,
भिनि्, प्र िाः क ले, वशवक्षक , प्र थान ,ां एकाः ब लाः, कु िावन्ि, उवत्थि ।
उत्तरि् –
(i) विद्य लयस्य प्र थान सभ य ाः अवस्ि |
(ii) ित्र अनेके छ त्र ाः वशक्षक ाः च सवन्ि ।
(iii) ध्िवनविस्ि रकयन्त्रेण िदवि ।
(iv) विद्य लयस्य प्रध न च यााः अवप ित्र विष्ठवि
(v) वभिौ अनेक वन वचत्र वण सवन्ि।
22
(3) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
िञ्जूष -
ब लिेलकि्,रिणीयि्,पटरध न वन,विक्रयाः,विविध ाः,क्रीड ाः,फल वन,दोल ,पयोर्हािि्
(Icecream)।
उत्तरि् –
(i) इदि् एकस्य ब ल िेलकस्य वचत्रि् अवस्ि ।
(ii) ित्र ब ल सुन्दर वण पटरध न वन धृत्ि प्रसीदवन्ि ।
(iii) वचत्रे एक दोल अवप अवस्ि ।
(iv) एकाः ब लाः ि िपुिकां (गुब्ब र ) क्रीण वि ।
(v) ित्र िृक्ष ाः अवप सवन्ि ।
(4) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
23
िञ्जूष –
िीथास्थलि्, नदी, भक्त ाः, स्न नां, प्रिहवि, ध्िजाः, िवन्दरि्, छत्रि्, पूज ां, जनसम्िदााः, जले,
पि क , जन ाः, गङ्ग य ि्।।
उत्तरि् –
(i) एिि् िीथास्थलि् अवस्ि ।
(ii) अत्र गङ्ग नदी प्रिहवि ।
(iii) भक्त ाः गङ्ग य ां स्न नां कु िावन्ि ।
(iv) िवन्दरे जन ाः पूज ां कु िावन्ि ।
(v) अत्र जनसम्िदााः दृश्यिे ।
(5) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
िञ्जूष -
गुरुकु लि्, वशष्य ाः, कु िीरि्, खग ाः, सरवणाः, उपविशवि, प ियवि, पिवन्ि, िृक्षाः,पिािाः ।
उत्तरि् –
(i) इदां वचत्रां गुरुकु लस्य अवस्ि।
(ii) गुरुकु ले वशष्य ाः पिवन्ि।
(iii) िृक्षे एकाः खगाः उपविष्ठवि।
(iv) गुरुाः वशष्य न् सम्यक् प ियवि।
(v) ित्र एकाः िृगाः शशकाः च स्िाः ।
24
(6) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
िञ्जूष -
उद्य नि्, िनोहरि्, प दप :, अनेके पुष्प वण, बहुविध वन, भ्रिणि्, भ्रिवन्ि, क्रीडवन्ि,
पवक्षणाः, शीिलि युाः, व्य य िि्, एक ब वलक , स्त्री, पुरुषाः।
उत्तरि् –
(i) एिि् एकि् िनोहरि् उद्य नि् अवस्ि ।
(ii) अत्र स्त्री पुरुषाः च भ्रिणां कु रुिाः ।
(iii) एक ब वलक रज्ज्ि कू दावि ।
(iv) ब लक ाः व्य य िां कु िावन्ि ।
(v) अत्र बहुविध वन अनेक वन पुष्प वण, प दप ाः च शोभन्िे ।
25
(7) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
िञ्जूष -
उद्य ने, हटरििृण वन, नलयन्त्रि्, वपप वसि , ब वलक , पिवि, जलि्, एके न हस्िेन,
वपबवि, एके न, गृहण वि, हस्ियो:, ब वलक य ाः, के श ाः, अस्िव्यस्ि ाः ।
उत्तरि् –
(i) इदि् एकस्य उद्य नस्य वचत्रि् अवस्ि ।
(ii) ित्र अनेके िृक्ष ाः सवन्ि ।
(iii) ब वलक य ाः के श ाः अस्िव्यस्ि ाः न सवन्ि ।
(iv) एक वपप वसि कन्य ित्र जलां वपबवि।
(v) ित्र एकां नलयन्त्रि् अवप अवस्ि ।
(8) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
26
िञ्जूष -
क्रीडक : , क्रीड क्षेत्र,े त्रयाः, प देन, प दकन्दुकि्, दशाक ाः, पश्यवन्ि, उत्स हेन, क्रीडवन्ि,
प्रसन्न ाः, द्वे, दले।
उत्तरि् –
(i) इदां क्रीड क्षेत्रस्य वचत्रि् अवस्ि।
(ii) क्रीड क्षेत्रे पञ्च ब ल ाः क्रीडवन्ि।
(iii) ब ल ाः प दकन्दुकां खेलवन्ि।
(iv) अनेके दशाक ाः ि न् पश्यवन्ि।
(v) क्रीड क्षेत्रे द्वे दले स्िाः।
(9) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
िञ्जूष -
क रय न वन, वद्वचकक्रक :, जन ाः, य ि य िाः, व्य कु ल ाः ि गााः, अिरुद्धाः, बसय न वन, अस्ि-
व्यस्िाः
उत्तरि् –
(i) अवस्िन् वचत्रे ि गााः अिरुद्धाः अवस्ि ।
(ii) वद्वचकक्रक :, क रय न वन, बसय न वन च विष्ठवन्ि ।
(iii) य ि य िाः अस्ि-व्यस्िाः अवस्ि ।
(iv) जन ाः व्य कु ल ाः सवन्ि ।
27
(v) एिेन ध्िवन-ि यु प्रदूषणां च भिवि ।
(10) प्रदत्तां वचत्रां दृष्ट्ि िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ां सह यिय पञ्च ि क्य वन सांस्कृ िेन
वलखि-
िञ्जूष -
रक्षणीयि्, अन्ये, वक्षपि् , सह, अवशष्ट:, अांककिि्
उत्तरि् –
(i) अवस्िन् वचत्रे एकाः िुिाः एि अिवशष्ट: ।
(ii) अन्ये िृक्ष ाः िु क ष्ठक रै ाः वछन्न ाः ।
(iii) अत्र एकाः ब लकाः सह ि त्र आगिाः, भयभीिाः च ।
(iv) र जि गे धूम्रां वक्षपि् एक क रय नि् अवप गच्छवि।
(v) िृक्ष ण ां सांरक्षणेन वह पय ि
ा रणां रक्षणीयि् ।
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28
3. अनुच्छेदलेखनि्
दीपक एक छ त्र है। उसने अपनी सांस्कृ ि प ठ्यपुस्िक िें 'दीप िवलाः' के विषय से ये ि क्य
पढे-
दीप िलीपिा भ रिीय न ां प्रिुखां पिा ििाि।े दीप िवल इत्युक्ते दीप न ि् अिवलाः
अयि् उत्सिाः क र्िाकि सस्य अि िस्य य ां भिवि। जन ाः अवस्िन् पिावण निीन वन िस्त्र वण
ध रयवन्ि। िे परस्परां उपह रन् अवप प्रयच्छवन्ि । के वचि् जन ाः विस्फोिक पद थ न
ा प्रज्ि ल्य
पय ि
ा रणां प्रदूषयवन्ि।
ऊपर वलखी पांवक्तयों िें दीप िली के विषय िें बि य गय है। ककसी विषय के एक कें िीय
भ ि अथि विच र के आध र पर ककय गय लर्ु वनबांध त्िक वचत्रण अनुच्छेद कहल ि है।
उद हरणि्
1 िज्जूष िाः पद वन वचत्ि ‘जलि् एि जीिनि्’ इवि विषयि् अवधकृ त्य पञ्चि क्येषु एकि्
अनुच्छेदां वलखि ।
िञ्जूष -
अस्ि कि्, जलि्, जीिनस्य, अन्न वन फल वन, स्न न य, िहत्िपूणाि,् क्षेत्र ण ,ां वसञ्चनि्,
वबन , आध राः ।
उत्तरि् –
(i) जलेन क्षेत्र ण ां वसञ्चनां कक्रयिे।
(ii) जलां स्न न य आिश्यकां भिवि ।
(iii) अनेन विन जीिनि् असांभिि्।
(iv) जलां जीिनस्य आध राः ।
29
(v) इदां वह िहत्त्िपूणि
ा ् अिाः 'जलि् एि जीिनि्।'
2. िज्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ि् सह यिय 'दीप िलीपिा' इवि विषयि् अवधकृ त्य पञ्चि क्य वन
सांस्कृ िेन वलखि
िञ्जूष -
विस्फोिकपद थ ााः, श्रीर िचन्िाः, पय ािरणि्, प्रिुखां पिा, अयोध्य ि वसनाः, प्रज्ि लयवन्ि,
निीनिस्त्र वण, उपह र न् क न्दविक न ि्, प्रदूषयवन्ि, आपण ाः ।
उत्तरि् –
(i) दीप िलीपिा भ रिीय न ां प्रिुख पिा ििाि।े
(ii) इदां क र्िाक ि सस्य अि िस्य य ि् आयोज्यिे ।
(iii) जन ाः अवस्िन् पिावण निीन वन िस्त्र वण ध रयवन्ि।
(iv) िे परस्परां उपह र न् अवप प्रयच्छवन्ि ।
(v) के वचि् जन ाः विस्फोिकपद थ न
ा ् प्रज्ि ल्य पय ि
ा रणि् प्रदूषयवन्ि ।
3. िज्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ि् सह यिय "ि गा सुरक्ष "' इवि विषयि् अवधकृ त्य
पञ्चि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि-
िञ्जूष –
य ि य िवनयि ाः, रक्त, पीि, हटरि, विद्युि् सांकेि न्, अिध नेन, ि हनच लन सिये,
पदय त्री, जीिनर् िक ाः, ि ििाः, दवक्षणिाः
उत्तरि् –
(i) ियां सिाद य ि य िवनयि न ां प लनां करणीयि् ।
(ii) सिाद ि गास्य ि ििाः गिनीयाः ।
(iii) यद रक्त-पीि-विद्युि-सांकेिां भिवि िद स्थ िव्यि्
(iv) यद हटरि-विद्युि सांकेिि् भिवि िद गन्िव्यि् ।
(v) ि गे अिध नेन गिनीयि् ।
4. िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ि् सह यिय 'विद्य य ाः िहत्त्िि् ' इवि विषयि् अवधकृ त्य
पञ्चि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि ।
30
िञ्जूष -
विद्य , कल्पलि , इि, गुरूण ि् गुरुाः, यशाः, सुखि्, भोगक री, विदेशे, बन्धुाः, र जसु,
पूवजि , नराः, विद्य विहीनाः, पशुाः, अवस्ि भिवि, दद वि
उत्तरि् –
(i) विद्य गुरुण ि् गुरुाः अवस्ि ।
(ii) विदेशे विद्य एि बन्धुाः अवस्ि ।
(iii) विद्य कल्पलि इि सिा दद वि ।
(iv) विद्य र जसु पूवजि भिवि ।
(v) विद्य विहीनाः नराः पशुवभाः सि नाः अवस्ि।
5. िञ्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ि् सह यि प्र िाः भ्रिणि्' इवि विषयि् अवधकृ त्य पञ्चि क्य वन
सांस्कृ िेन वलखि
िञ्जूष -
प्र िाःक लाः, िन्दाः, पिनाः, शीिलाः, िनोहर वण, दृश्य वण, सिात्र, सिे, िृद्ध ाः, पुष्प वण,
ब लक ाः उद्य नस्य, प्रकृ वििणानि्।
उत्तरि् –
(i) प्र िाः भ्रिणि् अिीि स्ि स्थ्यकरां ििाि।े
(ii) प्र िाः क ले िन्दाः शीिलाः च पिनाः िहवि।
(iii) सिात्र िनोहर वण दृश्य वण भिवन्ि।
(iv) िृद्ध ाः, ब ल ाः िवहल ाः ि उद्य ने भ्रिवन्ि।
(v) उद्य नस्य ि ि िरणां शुद्धां भिवि ।
6. िज्जूष य ां प्रदत्तशब्द न ि् सह यिय 'िि विद्य लय:' इवि विषयि् अवधकृ त्य
पञ्चि क्य वन सांस्कृ िेन वलखि
िञ्जूष -
िरणि ल:, भिनि्, क्रीड क्षेत्रि्, छ त्र ाः, पुस्िक लयाः, छ त्र न्, अध्य पक ाः, पुस्िक वन,
प दकन्दुकेन, प ियवन्ि, िृक्ष :, क्रीडवन्ि ।
उत्तरि् –
(i) िि विद्य लयस्य भिनि् विश लां सुन्दरां च अवस्ि ।
(ii) िि विद्य लये बहिाः छ त्र ाः पिवन्ि ।
31
(iii) अध्य पक ाः छ त्र न् पटरश्रिेण प ियवन्ि ।
(iv) िि विद्य लये पुस्िक लयाः अवस्ि, यत्र छ त्र ाः पुस्िक वन पिवन्ि ।
(v) विद्य लये एक िरणि लाः अवप अवस्ि।
7. 'रक्ष बन्धनपिा' इवि विषयि् अवधकृ त्य िञ्जूष पदस ह य्येन पञ्च सांस्कृ िि क्य वन
वलखि।
िञ्जूष -
भ्र िु:, भवगनी, र खीबन्धनि्, करोवि, आशीि ादि्, उपह रि्, धनि्, प्रिुकदििनाः सिे, देशे,
भ रिदेशे।
उत्तरि् –
(i) रक्ष बन्धन पिा सम्पूणे भ रिदेशे उत्स हेन ि न्यिे ।
(ii) अवस्िन् पिावण भवगनी भ्र िुाः हस्िे र खीबन्धनि् बन वि ।
(iii) प्रिुकदििनाः भ्र ि िस्यै उपह रां धनां ि यच्छवि।
(iv) भवगनी िस्िै आशीि ादां यच्छवि ।
(v) इदां पिा अिीि प्रेम्णाः पिा अवस्ि।
8. 'आदशा: छ त्र:' इवि विषयि् अवधकृ त्य िञ्जूष पदस ह य्येन पञ्च सांस्कृ िि क्य वन
वलखि।
िञ्जूष -
विद्य लय:, गुरुि् , सम्ि नि्, प्रविकदनि्, व्यिह रकु शलाः, सत्यि दी, गुणवनपुण:, अध्ययने,
पुस्िक न ि्, आदराः ।
उत्तरि् –
(i) आदशााः छ त्राः व्यिह र कु शलाः भिवि।
(ii) साः प्रविकदनां गुरिे सम्ि नां यच्छवि।
(iii) एििेि साः गुणवनपुणाः सत्यि दी च भिवि।
(iv) साः सिये विद्य लयां गच्छवि।
(v)ित्र साः पुस्िक न ि् अध्ययने सिय व्यिीिां करोवि ।
32
9. 'िष ा ऋिुाः' इवि विषयि् अवधकृ त्य िञ्जूष पदस ह य्येन पञ्च सांस्कृ िि क्य वन वलखि ।
िञ्जूष -
िेर् ाः, जलि् सिात्र, द दुर :, ध्िवनाः, र त्रौ , शीिलाः ि युाः, हरीविि , द विनी, अवप, भीि ाः
जन ाः, कृ षक ाः ,प्रसन्न ाः, िृक्ष ाः, ि ग ााः, अिरुद्ध ाः ।
उत्तरि् –
(1) िष ा ऋिौ सिात्र जलां दृश्यिे।
(2) िद सिात्र द दुर ण ां ध्िवनाः गुवज्जि भिवि ।
(3) िष य
ा ि् सिात्र जलां दृष्ट्ि कृ षक ाः प्रसन्न ाः भिवन्ि।
(4)र त्रौ शीिल: ि युाः िहवि।
(5) िद ि ग ााः अिरुद्ध ाः भिवन्ि ।
10. 'पिािर ज वहि लयाः' इवि विषयिवधकृ त्य िञ्जूष य ां प्रदत्तपद न ां सह यिय सांस्कृ िेन
पञ्च ि क्य वन वलखि-
िञ्जूष -
उत्तरस्य ां कदवश, नग वधर जाः, वहि च्छ कदि वन वशखर वण, उन्नि ाः िृक्ष ाः ,नदीन ि्
उद्गिस्थल, अनेके प्रप ि :, बहुविध : औषधयाः, ध ििाः, उपत्यक सु, प्रवसद्ध वन
िीथास्थल वन, भ रिस्य प्रहरी इि
उत्तरि् –
(1) वहि लयाः भ रिस्य प्रहरी इि अवस्ि।
(ii) अत्र अनेके प्रप ि ाः पिवन्ि ।
(iii) उन्नि ाः िृक्ष ाः शोभन्िे।
(iv) वहि च्छ कदि वन वशखर वण र जन्िे ।
(v) उपत्यक सु प्रवसद्ध वन िीथास्थल वन सवन्ि।
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33
4. वहन्दी/ आांड्ग्ल-ि क्य न ां सांस्कृ िे अनुि दाः
आिश्यकां वनदेशि्-
1. सबसे पहले ि क्यों को पढकर कि ा ि कक्रय की पहच न करनी च वहए।
2. विशेषण ि विशेष्य को एक ही सलांग, विभवक्त िथ िचन िें वलखन च वहए।
3. अव्ययों क प्रयोग भी यथ स्थ न करन च वहए।
4. क रक-वचह्नों के अनुस र ही विभवक्तयों िथ वनयि नुस र उपपद विभवक्तयों क प्रयोग
करन च वहए।
5. यकद सांभि हो िो यथ स्थ न सवन्ध युक्त िथ सि स युक्त शब्दों क भी प्रयोग करन
अच्छ रहेग ।
35
अत्र ियां पश्य िाः-
प्रथिे ि क्ये 'र ज ' पदां कि ा अवस्ि । याः कक्रय ां सम्प दयवि साः कि ा । किाटर च प्रथि
विभवक्त: प्रयुज्यिे अिाः 'र ज ' इवि पदे प्रथि विभवक्ताः अवस्ि ।
वद्विीये प्रश्नोत्तरे 'पुत्रि्' किाक रकि् अवस्ि। कक्रय य ाः फलां यवस्िन् पिवि िि् किासज्ञ
ां कां
भिवि। 'किावण वद्विीय ' सूत्र नुस रे ण 'पुत्रि्' इवि पदे वद्विीय विभवक्ताः प्रयुक्त ।
िृिीये प्रश्नोत्तरे 'रथेन' इवि पदे रथस्य स धनत्ि ि् करण थे िृिीय विभवक्ताः प्रयुक्त यिाः
'स धकििां करणि्' करणे च िृिीय विभवक्ताः भिवि।
चिुथे प्रश्नोत्तरे 'य चके भ्याः' पदे चिुथी विभवक्ताः अवस्ि । यस्िै ककिवप दीयिे कक्रयिे ि
िि् सम्प्रद नि् भिवि। सम्प्रद ने च चिुथी विभवक्ताः भिवि ।
पञ्चिे प्रश्नोत्तरे आच य ाि'् इवि पदे पञ्चिी-विभक्ते ाः प्रयोगाः ििाि।े यस्ि द् अधीिे गृह्यिे
पृथकक्रयिे ि अप द नां भिवि । अप द ने पञ्चिी विभवक्ताः प्रयुज्यिे ।
षष्ठे प्रश्नोत्तरे 'नृपस्य इवि पदां पुत्रण
े सह सम्बन्धां ज्ञ पयवि । सम्बन्धां च षष्ठी विभवक्ताः
भिवि अिाः 'नृपस्य ' पदे षष्ठी विभवक्त प्रयुक्त ।
सप्तिे प्रश्नोत्तरे 'गुरुकु लि् अध्ययनक यास्य आध राः अवस्ि। 'आध रोऽवधकरणि्' इत्यनेन
आध रस्य
अवधकरण-सांज्ञ भिवि अवधकरणे च सप्तिी विभवक्ताः प्रयुज्यिां अिएि 'गुरुकु ले' इवि पदे
सप्तम्य ाः
विभक्त्य ाः प्रयोगाः ििाि।े
अष्टिे प्रश्नोत्तरे नृपाः आच यं 'भो आच या!' इवि सम्बोधयवि । सम्बोधने अवप प्रथि
विभवक्ताः एि प्रयुज्यिे।
36
वद्विीय - अवभिाः, पटरिाः, सिािाः उभयिाः, सिय , वनकष , ह , प्रवि, वधक् , उपटर, अधाः,
विन , अन्िर , अन्िरण, गि्, रक्ष योगे।
िृिीय - सह, सिि्, स कि्, स धाि,् सदृशि्, सिाः, अलि्, विन , योगे अङ्गविक रे च।
चिुथी- द , रुच, क्रुद्ध कु प् , िुह् , स्पृह् ,असूय,् ईष्य ,ा निाः, स्िवस्ि, स्ि ह योगे।
पञ्चिी- भी, त्र , त्रस्, ऋिे प्रभूवि, प्रथक् ,आरभ्य, दूरि्, बवहाः, अनन्िरि्, पूिाि्, प्र क् -योगे,
द्वयोाः वनध ारणे।
षष्ठी- कृ िे, हेिु:, सिक्षि्, िध्ये, अन्िाः, दूरि्, अन दरि्, अध:, उपटर, पुराः, वनध ारणे।
सप्तिी- वस्नह् , वि+श्वस् , प्रिीणाः, कु शलाः, चिुराः, वनध ारणे सवि सप्तिी।
एि वन ि क्य वन पििु-
पिवि- एक ब लक (ब लक:) पढ रह है ।
विकसि:- पुष्पे ।
कू दावन्ि – बन्दर (ि नर :) िृक्ष पर कू द रहे हैं ।
पिवन्ि -पत्र वण ।
ध्य िव्यि्-
(क) उपटर प्रदि वन स्थूलपद वन किृापद वन सवन्ि।
(ख) किृापदेषु प्रथि विभवक्ताः प्रयुक्त ।
(ग) कक्रय पदस्य अवन्िवि: किृापदै सदैि भिवि।
दशलक र :-
1. लि् लक र: 6. लङ् लक र:
2. वलि् लक र: 7. विवधवलङ् -लक राः
3. लुि् लक र: 8. लृङ्. लक र:
4. लृि् लक र: 9. लुङ् लक र:
5. लोि् लक र: 10. आशीर्लाङ्. लक र:
37
अधुन एि वन ि क्य वन पिि-
एकिचनि् वद्विचनि् बहुिचनि्
ब लाः गच्छवि। ब लौ गच्छिाः। ब ल ाः गच्छवन्ि।
कन्य गच्छवि। कन्ये गच्छिाः। कन्य ाः गच्छवन्ि।
त्िां गच्छवस। युि ि् गच्छथाः । यूयां गच्छथ।
अहां गच्छ वि। आि ां गच्छ िाः। ियां गच्छ िाः।
सांस्कृ िे कक्रय य ाः िूलरूपां ध िुाः भिवि । ध िोाः प्रयोगाः दशलक रे षु भिवि। िेषु प्रिुख ाः
पञ्चलक र : अधोवनर्दाष्ट ाः सवन्ि, अिवशष्ट ाः पञ्चलक र : छ त्रैाः अन्िेषणीय ाः-
लि् लक र:- ििाि नक ले
लृि लक र:- भविष्यत्क ले
लङ् लक र:- भूिक ले
लोि् लक राः- आज्ञ थे/ आदेश कद-अथे
विवधवलङ् लक र: - विध्यथे सम्भ िन कद अथे
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Labourious people always succeed.
गङ्ग य ाः जलां पवित्रां भिवि। गांग क जल पवित्र होि है।
The water of Ganga is pure.
विद्यय विन जीिनां व्यथाि्। विद्य के वबन जीिन व्यथा है।
Life is futile without knowledge.
ियां िृद्धजन न ां सम्ि नां कु य ाि। हिें िृद्धजनों क सम्ि न करन च वहए।
We should respect the elderly.
अभ्य स-प्रश्न :-
अधोवलवखिि क्य न ां सांस्कृ िभ षय अनुि दां कु रुि-
(i) छ त्रों को ध्य न से क या करन च वहए।
(ii) िृक्ष पर पक्षी चहचह िे हैं।
(iii) हि सब विलकर ग एाँगे।
(iv) वखल ड़ी फु िबॉल से खेल रहे हैं।
(v) अध्य पक ने कह - "सद च र क प लन करो" ।
(vi) कृ षक ग ाँि की ओर गए ।
(vii) िुि दोनो खीर ख ओ।
(viii) विद्य लय के दोनो ओर िृक्ष हैं।
(ix) ि ि ब लक को दूध देिी हैं।
(x) हिें स्ि स्थ्य के वनयिों क प लन करन च वहए।
(xi) कल र र्ि कह ाँ थ ?
(xii) िेरे वपि भोजन पक िे हैं।
(xiii) िेरे प स आकर बैिो।
(xiv) उन सबको दीि ली उत्सि अच्छ लगि है।
(xv) ईश्वर को निस्क र।
(xvi) र्र के ब हर कौन है?
(xvii) भिन के ऊपर कौए बैिे हैं।
(xviii) िैंने ऐस नहीं कह ।
(xix) कक्ष िें ककिने छ त्र हैं?
(xx) िुि ब ज र से दही ल ओ।
39
उत्तरि्
(i) छ त्रैाः ध्य नेन क यं कत्ताव्यि् ।
(ii) िृक्षे खग ाः कू जवन्ि।
(iii) ियि् विवलत्ि ग स्य िाः ।
(iv) क्रीडक ाः प दकन्दुकेन क्रीडवन्ि ।
(v) अध्य पकाः अकथयि्-सद च रां प लय।
(vi) कृ षकाः ग्र िि् प्रवि अगच्छि् ।
(vii) युि ि् प यसां ख दिि्।
(viii) विद्य लयि् अवभिाः िृक्ष ाः सवन्ि।
(ix) अम्ब ब लक य दु्धां यच्छवि ।
(x) अस्ि वभाः स्ि स्थ्यस्य वनयि वन प लनीय ।
(xi) हय: र र्िाः कु त्र आसीि्?
(xii) िि जनक: भोजनां पचवि ।
(xiii) िि सिीपे आगत्य उपविश ।
(xiv) िेभ्य: दीपोत्सिाः रोचिे।
(xv) ईश्वर य निाः |
(xvi) गृह ि् बवहाः काः अवस्ि?
(xvii) भिनस्य उपटर क क ाः उपविशवन्ि।
(xviii) अहि् एिि् न अकथयि् ।
(ix) कथ य ि् कवि छ त्र ाः सवन्ि?
(XX) त्िि् आपण ि् दवध आनय ।
40
ि क्येषु प्रत्यय-प्रयोग थाि् एिे वबन्दिाः ध्य िव्य ाः-
• शिृ-प्रत्ययस्य प्रयोगाः परस्िैपकदध िुवभाः सह भिवि। श नच् प्रत्ययस्य प्रयोगाः
आत्िनेपकदध िुवभाः सह भिवि । आभ्य ां प्रत्यय भ्य ां वनर्िािपद न ां प्रयोगाः विशेषणरूपेण
भिवि।
• क्त-क्तििु-प्रत्यययोाः प्रयोगाः भूिक ल थं कक्रयिे। क्त-प्रत्ययस्य प्रयोगाः किाि च्ये भ िि च्ये
च भिवि। क्तििु-प्रत्ययस्य प्रयोगाः किृि
ा च्ये एि भिवि।
• िव्यि् अनीयर् प्रत्यययोाः प्रयोगाः विवधवलङ्लक रस्य अथे भिवि । एि भ्य ां प्रत्यय भ्य ां
वनर्िािपद न ां प्रयोगाः कक्रय रूपेण विशेषणरूपेण च भिवि।
41
(ix) वशिल नगर देखने यो्य है।
(x) ख ने यो्य भोजन ही ख न च वहए।
उत्तरि् –
(i) साः पत्रि् अवलखि् ।
(ii) ख दन् न िकदिव्यि्।
(iii) स कन्य पुस्िकि् अपिि् ।
(iv) त्िय अवप पुस्िकि् पटििव्यि् ।
(v) स फल नीत्ि गृहां आगच्छि्।
(vi) त्िय एिि् न वचवन्ििि्।
(vii) पुस्िकां प्र प्य छ त्राः प्रसन्नां भिवि ।
(viii) गच्छन् ब लकां पश्य ।
(ix) वशिल नगर: दशानीयाः अवस्ि।
(x) ख दनीयां भोजनां एि ख कदिव्यि् ।
---------------------------------------------------------------------------------------
42
5. सवन्ध:
व्यांजन सवन्ध
व्यांजन + व्यांजन = व्यांजन सवन्ध
व्यांजन + स्िर = व्यांजन सवन्ध
1. िगीयप्रथििणास्य िृिीयिणे पटरििानि्
वनयि :-
जश्त्ि/पूिासिणा सवन्ध
“झल ां जशोऽन्िे”
ककसी शब्द िें झल अथ ाि् िगों के 1,2,3,4 िणा िथ श्,ष्, स्, ह् हो िथ + के ब द स्िर,
िगों के 3,4,5 िणा,य्,ि्,र्,ल्,ह् िणा हो िो झल ले स्थ न पर जश् (उसी िगा क िीसर िणा)
हो ज ि है ।
अथ ाि्
िगास्य प्रथििणास्य िृिीयिणे पटरििानि् भिवि ।
वनयि
क् पटरििानि् ग्
च् ज्
ि् ड्
ि् द्
प् ब्
उद हरणि्-
कदक् + अम्बर:
कद क् + अ म्बराः
कद ग् म्बराः
कदगम्बर:
जगि्+ईश: = जगदीश:
ि्+ई = द्
43
वचि्+आनन्द:=वचद नन्द: षि् + आनन: = षड नन:
चलि् +अवनशि्=चलदवनशि् एिस्ि ि्+एि= एिस्ि देि
उद हरणि्
ि क् +ियि् = ि ड़्ियि् जगि्+न थ: =जगन्न थ:
क् +ि ि्+न
ड़् न्
िि्+िय: = िन्िय:
ि्+ि
न्
विसगा सवन्ध
:/(विसगा) + व्यांजन = विसगा सवन्ध
:/(विसगा) + स्िर = विसगा सवन्ध
44
1.उत्ि विसगा सवन्ध
वनयि :
विसगा : के स्थ न पर उ हो ज ि है यकद + के ब द अ स्िर हो िो ।
अथ ाि् पद के अन्ि िें विसगा : एिां विसगा से पूिा अ िणा िथ उत्तर पद क आरम्भ अ से हो
िो विसगा क उ िथ अ+उ क ओ हो ज ि है ।
वनयि
अ: + अ = ओऽ
ब ल: + अयि्
अ: + अ
ओ+ऽ
ब लोऽयि्
45
यकद पद न्ि : विसगा से पहले कोई स्िर आए (अ,आ को छोड़कर) िथ + के ब द 3,4,5
िणा एिां य्,र्,ल्,ि्,ह् आए िो : (विसगा) क र् हो ज ि है ।
वनयि
स्िर : (अ,आ को छोड़कर) + स्िर
विसगास्य स्थ ने र् भिवि
उद हरणि्-
कवि: + इवि
इ: + इ
: (र्)
कवि+र्+इवि
कविटरवि
46
3.विसगा लोप सवन्ध
वनयि :
यकद पद न्ि अ: के ब द कोई स्िर आए (अ को छोड़कर) िो : (विसगा) क लोप हो ज ि है ।
यकद पद न्ि आ: के ब द कोई स्िर य 3,4,5 िणा एिां य्,र्,ल्,ि्,ह् आए िो : (विसगा) क
लोप हो ज ि है ।
वनयि
अ: + स्िर (अ को छोड़कर)
विसगास्य लोप: ( : x )
उद हरण-
कृ ष्ण: + एवह
अ: + ए
: (x)
कृ ष्ण एवह
अन्य वन उद हरण वन
देि: +आगच्छवि = देि आगच्छवि िृग: + उत्सहिे = िृग उत्सहिे
सूय:ा + इवि = सूया इवि देि: + उवत्तष्ठवि = देि उवत्तष्ठवि
र ि: + इच्छवि = र ि इच्छवि
47
यकद पूिापद के अन्ि िें विसगा : िथ उत्तरपद य + के ब द स्,ि्,थ् िे से कोई िणा आए िो
विसगा : क स् हो ज ि है । यकद पूिापद के अन्ि िें विसगा : िथ उत्तरपद य + के ब द
श्,च्,छ् िे से कोई िणा आए िो विसगा : क श् हो ज ि है । यकद पूिापद के अन्ि िें विसगा :
िथ उत्तरपद य + के ब द ष्,ि् ,ि् िे से कोई िणा आए िो विसगा : क ष् हो ज ि है
वनयि
: + स्,ि्.थ्,क्
विसगास्य स् भिवि : + श्,च्.छ्
विसगास्य श् भिवि : + ष्,ि्,ि्
विसगास्य ष् भिवि
विसगास्य स्थ ने स्
नि: + िे = निस्िे नि: +क र = निस्क र
जन: + सेििे = जनस्सेििे र ि: + िथ = र िस्िथ
नि: + िुभ्यि् = निस्िुभ्यि् कृ ष्ण: + िद = कृ ष्णस्िद
विसगास्य स्थ ने श्
क: + वचि् = कवश्चि् देि: + शोभिे = देिश्शोभिे
िस्य : + चौर: = िस्य श्चौर: कवि: + चलवि = कविश्चलवि
अवि: + श म्यवि = अविश्श म्यवि कृ ष्ण: + शेिे = कृ ष्णश्शेिे
विसगास्य स्थ ने ष्
र ि: + िीकिे = र िष्टीकिे धनु: +िांक र = धनुष्टक ां र
जन: + िक्कु र: = जनष्ठक्कु र: क: + िीकिे = कष्टीकिे
रूप्यकै : + िनिन यिे = रूप्यकै ष्ठनिन यिे
अधोवलवखिि क्येषु रे ख वङ्किपदेषु ससन्धां सवन्धच्छेदां ि कु रुि
(i) दुद ान्िै: दशनै: जनग्रसनां स्य न्नैि ।
(ii) क न्ि रे िि सि् + चरणि् स्य ि्|
(iii) व्य घ्रोऽवप सहस नष्ट: अभिि्।
(iv) ि नर: + िु िि: पल वयि: ।
उत्तर वण-
i- स्य ि्+नैि ii- सञ्चरणि् iii- व्य घ्र:+अवप iv- ि नरस्िु
---------------------------------------------------------------------------------------
48
6. सि साः
सि स-
अव्ययीभ ि ित्पुरुष द्वन्द्व बहुव्रीवह
किाध रय वद्वगु
1.ित्पुरुष
उत्तर पद प्रध न:
उत्तर पद को प्रश्न के रूप िें प्रयोग करने पर पूिा पद उसक जि ब होग ।
वद्विीय ित्पुरुष
(पहच न शब्द- वश्रि, अिीि, पविि,गि, प्र प्त, आपन्न)
सिस्ि पद सि स विग्रह
ग्र िगि: ग्र िां गि: (ग्र ि शब्द की वद्विीय ग्र िां)
र िवश्रि: र िां वश्रि:
दु:ख िीि: दु:खि् अिीि:
(अन्य उह हरण- धनप्र प्त:, कू पपविि:, जीविक पन्न:,गृहगि:)
िृिीय ित्पुरुष
(पहच न शब्द -पूि,ा सदृश,सि,ऊन,शब्द,विश्र,वनपुण,कलह,हीन:)
सिस्ि पद सि स विग्रह
सप्त हपूिा: सप्त हेन पूिा: (सप्त ह शब्द की िृिीय सप्त हेन)
ि िृसदृश: ि त्र सदृश:
विद्य विहीन: विद्य विहीन:
(अन्य उह हरण- गुडविश्र:, ि क्कल ह:, धनहीन:,वपिृसि:)
चिुथी ित्पुरुष
(पहच न शब्द- अथा, बली, लोभ, वहि, सुख, रवक्षि)
सिस्ि पद सि स विग्रह
जनवहिि् जनेभ्य: वहिि् (जन शब्द की चिुथी जनेभ्य:)
49
वभक्ष िनि् वभक्ष यै अिनि्
सिासुखि् सिेभ्य: सुखि्
(अन्य उह हरण- भूिबवल:, गोिवक्षिि्, जीिसुखि्,धनलुब्ध:)
पञ्चिी ित्पुरुष
(पहच न शब्द- भी, भय, भीि, भीवि, अपेि, िुक्त, पविि, भ्रष्ट)
सिस्ि पद सि स विग्रह
व्य घ्रभीि: व्य घ्र ि् भीि:(व्य घ्र शब्द की पञ्चिी व्य घ्र ि्)
सुख पेि: सुख ि् अपेि: (सुख से िांवचि)
स्िगापविि: स्िग ाि् पविि:
(अन्य उह हरण- ससांहभीवि:, चौरभयि्, सांकििुक्त:,धिाभ्रष्ट:)
षष्ठी ित्पुरुष
(पहच न शब्द- सांबन्ध-क ,की,के ,रक्ष्)
सिस्ि पद सि स विग्रह
देिर ज: देि न ि् र ज:(देि शब्द की षष्ठी देि न ि्)
र ष्ट्रपवि: र ष्ट्रस्य पवि:
विद्य लय: विद्य य : आलय:
(अन्य उह हरण- र ििचनि्,र जपुरुष:,लोकन थ:,अथागौरिि्,यूथपवि:)
सप्तिी ित्पुरुष
(पहच नशब्द- शौण्ड, धूिा, ककिि, प्रिीण, अन्िर, अवभ, पिु, पवण्डि कु शल, चपल,
वनपुण, वसद्ध, शुष्क, पक्व, बन्ध)
सिस्ि पद सि स विग्रह
क याकुशल: क ये कु शल:(क या शब्द की सप्तिी क ये)
अक्षशौण्ड: अक्षेषु शौण्ड: (जुए िें कु शल)
श स्त्रवनपुण: श स्त्रे वनपुण:
(अन्य उह हरण- ग्र िवसद्ध:,क यापिु :,चक्रबद्ध:,सांस्कृ िवसद्ध:,आिपशुष्क:)
2.बहुव्रीवह
बहुव्रीवह – अन्य पद प्रध न: (अथा के आध र पर अन्य पद की प्रध नि )
भेद- 1. सि न वधकरण
2. व्यवधकरण
50
1. सि न वधकरण
(दोनों पदों िें सि न य एक जैसी विभवक्त )
सिस्ि पद सि स विग्रह
दश नन: दश आनन वन यस्य स: (र िण)
पीि म्बर: पीिि् अम्बरि् यस्य स: (विष्णु)
लम्बोदर: लम्बि् उदरां यस्य स: (गणेश)
वप्रयदशानी वप्रयां दशानि् यस्य : स (स्त्री)
नीलकण्ि: नीलां कण्िां यस्य स: (वशि)
(अन्य उह हरण- प्र प्तधन:, िह त्ि ,चिुिुाख:,शीि ांशु:)
व्यवधकरण-
(दोनों पदों िें सि न य एक जैसी विभवक्त नही होिी है।)
सिस्ि पद सि स विग्रह
चन्िशेखर: चन्ि: शेखरे यस्य स: (वशि)
चक्रप वण: चक्रां प णौ यस्य स: (विष्णु)
वपनकप वण: वपन क: प णौ यस्य स: (वशि)
खड्गगहस्ि: खड्गग: हस्िे यस्य स: (योद्ध )
धनुष्प वण: धनु: प णौ यस्य स: (र ि)
3. अव्ययी भ ि सि स
पूिापद प्रध न:
पहच न--अव्यय/उपसगा से शुरुआि
अव्ययीभ ि िें प्रयुक्त-अवध,उप,सु,वनस्,वनर्,अवि,इवि,अनु,प्रवि,आ ,यथ ,सह,सि्
बदल ि- सांज्ञ शब्दों क अवन्िि दीर्ा स्िर हृस्ि हो ज ि है
जैस-े आ क अ, ई क इ, ऊ एिां ओ क उ,
सिस्ि पद सि स विग्रह
उपगुरु गुरो: सिीपि् (गुरु शब्द की षष्ठी गुरो:)
उपकृ ष्णि् कृ ष्णस्य सिीपि्
51
(अन्य उह हरण- उपगड़्गि्, उपकण्िि्, उपिनि्,उपगृहि्)
सिस्ि पद सि स विग्रह
वनजानि् जन न ि् अभ ि:(जन शब्द की षष्ठी जन न ि्)
वनदोषि् दोषस्य अभ ि:
वनजालि् जलस्य अभ ि:
(अन्य उह हरण- वनर्िाघ्नि्, वनब ाधि्, वनभायि्,वनिानुष्यि्)
आिृवि/ विप्स (ब र-ब र) अथा िें –प्रवि अव्यय (सप्तिी विभवक्त क प्रयोग प्रवि हि ज ि है)
सिस्ि पद सि स विग्रह
प्रविकदनि् कदने कदने (कदन शब्द की सप्तिी कदने)
प्रवििषाि् िषे िषे
प्रविक्षणि् क्षणे क्षणे
(अन्य उह हरण- प्रविगृहि्, प्रत्यथाि,् प्रविग्र िि्,प्रत्येकि्)
52
सिस्ि पद सि स विग्रह
यथ शवक्त शवक्ति् अनविक्रम्य (शवक्त शब्द की वद्विीय शवक्ति्)
यथ विवध विवधि् अनविक्रम्य
यथ श स्त्रि् श स्त्रि् अनविक्रम्य
(अन्य उह हरण- यथेच्छि्, यथ बलि्,यथ सियि्,यथ िविि्)
4.द्वन्द्व सि स
द्वन्द्व – उभय पद प्रध न (दोनों पद प्रध न य िु्य होिे हैं।
भेद- इिरे िर, सि ह र, एकशेष ।
इिरे िर द्वन्द्व-
(दोनों पद प्रध न, सिस्ि पद के अन्ि िें सां्य के अनुस र िचनप्रयोग)
सिस्ि पद सि स विग्रह
ि ि वपिरौ ि ि च वपि च
सीि र िौ सीि च र ि: च
फलपुष्प वण फल वन च पुष्प वण च
शब्द थौ शब्द: च अथा: च
ग्रीष्ििसन्िवशवशर : ग्रीष्ि:च िसन्ि: च वशवशर: च
(अन्य उह हरण- हटरहरौ, कन्दिूलफल वन,कदि र त्रौ,कृ श क विके )
53
अ. अट्टह सां सह आ. अट्टह स ि् सह
इ अट्टह सेन सह ई. अट्टह स: सह
iv) आदेशां प्र प्य अविवथ: च चौर: च प्र चलि ि् ।
अ. अविवथचौरौ आ. अविथेचोरौ
इ अविवथचौर : ई. अविवथचौर:
54
7. प्रत्यय :
प्रत्यय
कृ ि् िवद्धि स्त्री
1. कृ ि् प्रत्यय–
ध िु य कक्रय के स थ जुड़ने ि ले कृ ि् प्रत्यय होिे हैं
कृ ि् प्रत्यय से बने शब्द कृ दन्ि कहल िे हैं।
2. िवद्धि प्रत्यय–
सांज्ञ य सिान ि य शब्द के स थ जुड़ने ि ले
िवद्धि प्रत्यय हैं िवद्धि प्रत्यय से बने शब्द
िवद्धि न्ि कहल िे हैं।
3. स्त्री प्रत्यय–
पुसल्लांग शब्दों को स्त्रीसलांग बन ने कक वलए जो प्रत्यय लग िे हैं
िह स्त्री प्रत्यय होि है ।
िवद्धि प्रत्यय
1.ििुप् प्रत्यय (िवद्धि प्रत्यय)
पहच न – अन्ि िें- ि न्,ि न् विलि है
इ,उ के स थ-ि न् एिां अ,आ के स थ-ि न्
(पुसल्लांग-े ि न्/ि न् , स्त्रीसलांगे – ििी/ििी , नपुांसकसलांग-े िि्/िि्)
बुवद्ध+ििुप=
् बुवद्धि न्,बुवद्धििी,बुवद्धिि्
शवक्त+ििुप=
् शवक्ति न्,शवक्तििी,शवक्तिि्
गवि+ििुप= ् गविि न्
िधु+ििुप= ् िधुि न्
गुण+ििुप= ् गुणि न्
दय +ििुप= ् दय ि न्
श्री+ििुप=
् श्रीि न्
भ नु+ििुप=
् पु.-भ नुि न्, स्त्री.-भ नुििी, नपु.- भ नुिि्
55
उद हरण- बलिन्ि: वनबाल न् रक्षणीयि्।
अ. बल+िन्ि: आ. बल+श नच्
इ. बल+ििुप् ई. बल्+िल्
2.िक् प्रत्यय (िवद्धि प्रत्यय)
पहच न – अन्ि िें- इक विलि है
प्रथि स्िर िें बदल ि-अ क आ, इ क ए, उ क औ हो ज ि है।
शब्द+िक् = श वब्दक पक्ष+िक् =प वक्षक
नीवि+िक् =नैविक उद्योग+िक् = औद्योवगक
अथा+िक् =आर्थाक इविह स+िक् = ऐविह वसक
प्रकृ ि+िक् =प्र कृ विक लोक+िक् =लौककक
उद हरणि्
जन : िड़्गल+िक् क यं कु िावन्ि ।
अ. िड़्गवलक आ. ि ड़्गवलक
इ. ि ड़्गली ई. िड़्गलि
3.त्ि प्रत्यय (िवद्धि प्रत्यय)
पहच न – अन्ि िें- त्ि,त्िि् विलि है
भ िि चक सांज्ञ बन ने के वलए त्ि प्रत्यय लग य ज ि है।
िधुर+त्ि = िधुरत्िि् किु +त्ि =किु त्िि्
देि+त्ि =देित्िि् गुरु+त्ि = गुरुत्िि्
बन्धु+त्ि =बन्धुत्िि् किोर+त्ि = किोरत्िि्
लर्ु+त्ि =लर्ुत्िि् वप्रय+त्ि =वप्रयत्िि्
उद हरणि्- जन : कृ षक ण ि् िहि्+त्ि स्िीकु िावन्ि ।
अ. िहत्ि आ. िहत्त
इ. िहत्त्िि् ई. िहत्त्ि्
4.िल् प्रत्यय (िवद्धि प्रत्यय)
पहच न – अन्ि िें- ि विलि है
भ िि चक सांज्ञ स्त्रीसलांग बन ने के वलए िल् प्रत्यय लग य ज ि है।
िधुर+िल् = िधुरि किु +िल् =किु ि
देि+िल् =देिि अम्ल+िल् =अम्लि
बन्धु+िल् =बन्धुि किोर+िल् = किोरि
लर्ु+िल् =लर्ुि वप्रय+िल् =वप्रयि
उद हरणि्- अवस्िन् क ये िि िूखा+िल् दृश्यिे।
अ. िूखात्ि आ. िूखािल्
इ. िूखात्िि् ई. िूखाि
56
3. स्त्री प्रत्यय
1.ि प् प्रत्यय (स्त्री प्रत्यय)
पहच न – अन्ि िें- आ विलिी है।
पुसल्लांग शब्दों को स्त्रीसलांग बन ने के वलए ि प् प्रत्यय क प्रयोग करिे हैं ।
अश्व+ि प् = अश्व ब ल+ि प् =ब ल
कोककल+ि प् =कोककल िेर्+ि प् =िेर्
सरल+ि प् =सरल कृ श+ि प् = कृ श
ब लक+ि प् =ब वलक न यक+ि प् =न वयक
उद हरणि्
1. कक्ष य ि् क विक प्रथि+ि प् अवस्ि ।
अ. प्रथि: आ. प्रथि इ. प्रथि ई. प्रथि प्
2.ङीप् प्रत्यय (स्त्री प्रत्यय)
पहच न – अन्ि िें- ई विलिी है।
पुसल्लांग शब्दों को स्त्रीसलांग बन ने के वलए ङीप् प्रत्यय क प्रयोग करिे हैं ।
कु ि र+ङीप् = कु ि री ककशोर+ङीप् =ककशोरी
नेिृ+ङीप् =नेत्री अवभनेिृ+ङीप् =अवभनेत्री
दवण्डन्+ङीप् =दवण्डनी िपवस्िन्+ङीप् = िपवस्िनी
िरुण+ङीप् =िरुणी द िृ+ङीप् =द त्री
उद हरणि्
1. वप्रयांक सि वजक क या किृा+ङीप् अवस्ि।
अ. कि ा आ. किृा इ. कत्री ई. कत्र ा
परीक्ष य : कृ िे उद हरण वन
रे ख वङ्किपद न ां प्रकृ वि-प्रत्ययौ सांयोज्य विभज्य ि उवचिि् उत्तरां विकल्पेभ्य: वचत्ि
वलखि ।
(i) ि निस्य हृकद सवहष्णु +िल् स्य ि् ।
(क) सवहष्णुि ि् (ख) सवहष्णुिय (ग) सवहष्णुि
(ii) ज न वि िि चपल ां प्रकृ विि् ।
(क) चपल+ि प् (ख)चपल +िल् (ग) चपल +ङीप्
(iii) बुवद्ध: सिाद बल +ििुप् भिवि ।
(क) बलि न् (ख) बलििी (ग) बलििी
---------------------------------------------------------------------------------------
57
8. ि च्यप्रकरणि्
ि च्य कक्रय क िह रूप है वजससे यह पि चले कक ि क्य िें प्रयोग की गई कक्रय क िु्य
विषय कि ा है, किा है य भ ि है।
ि च्य भेद :
(1) किृा ि च्य (2) किा ि च्य (3) भ ि ि च्य
(3) भ ि ि च्य
भ िस्य प्रध नि ।
किृापदे िृिीय विभवक्त भिवि ।
किापद: न भिवि ।
कक्रय प्रथिपुरुषस्य एकिचनस्य आत्िनेपदी भिवि
3 1
कि ा कक्रय
िृिीय प्रथि पुरुष एकिचनि्
आत्िनेपदी कक्रय
सेि् ध िु (सेि करन ) लि् लक र
सेििे सेिि
े े सेिन्िे
58
सेिसे सेिेथे सेिध्िे
सेिे सेि िहे सेि िहे
कि ा किा कक्रय
प्रथि वद्विीय कि ानुस र
कि ा किा कक्रय
िृिीय प्रथि कि ानसु र
अन्य वन उद हरण वन
वशष्य: गुरुां पृच्छवि। –किृाि च्य
वशष्येण गुरु: पृच्यिे । –किाि च्य
वित्रां सहयोगां दद वि । –किृाि च्य
वित्रेण सहयोग: दीयिे। –किाि च्य
अहां फल वन नय वि –किृाि च्य
िय फल वन नीयन्िे –किाि च्य
59
त्िां चन्िां पश्यवस – किृाि च्य
त्िय चन्ि: दृश्यिे-किाि च्य
आि ां ग्र िां गच्छ ि: -किृाि च्य
आि भ्य ां ग्र ि: गम्यिे-किाि च्य
कृ श गीिां ग यवि –किृाि च्य
कृ शय गीिां गीयिे –किाि च्य
अहां ि ि ं श्रृणोवि –किृाि च्य
िय ि ि ा श्रूयिे -किाि च्य
विहग : ज लां हरवन्ि –किृाि च्य
विहगै: ज लां वियिे -किाि च्य
60
स: िां हवन्ि -किृाि च्य
आच यै: छ त्र : उपकदश्यन्िे–किाि च्य
आच य :ा छ त्र न् उपकदशवन्ि-किृाि च्य
61
9. सियाः
उद हरण वन-
1. ................ अविथीन ि् आगिनि् । (सप दैकि दने)
2. ................ अविथीन ि् जलप नि् । (सप दवद्वि दने)
3. ................. ि दने िु्य विथे: आशीिाचन । (सप दवत्रि दने)
4. ................. ि दने सांस्कृ िसम्भ षण-अभ्य स: । (सप दचिुि ादने)
उद हरण वन-
62
1. ................ अविथीन ि् आगिनि् । (स धैकि दने)
2. ................ अविथीन ि् जलप नि् । (स धावद्वि दने)
3. ................. ि दने िु्य विथे: आशीिाचन । (स धावत्रि दने)
4. ................. ि दने सांस्कृ िसम्भ षण-अभ्य स: । (स धाचिुि ादने)
63
10. अव्ययाः
न व्यय: इवि अव्यय:।
सदृशां वत्रषु वलड़्गेषु,सि स
ा ु च विभवक्तषु।
िचनेषु च सिेषु यन्नव्ययेवि िदव्ययि् ॥
अथ ाि-् जो िीनों वलड़्गों िें, सभी विभवक्तयों िें,िीनों िचनों िें एक सि न रहि है अथ ि
ा ्
वजसिें कोई बदल ि नही होि िह अव्यय होि है।
64
11. अवप भी िोहन: अवप क यं कटरष्यवि।
12. ककिथाि् ककसवलए/क्यों त्िां ककिथाि् न आगि: ?
13. ित्र िह ाँ यत्र खग : ित्र कलरि :।
14. उचों ै: ऊच िेर् : उचों ै: गजावन्ि।
15. च और र ि: श्य ि: च प िां पिि:।
16. अद्य आज अद्य कक्रके िस्पध ा भविष्यवि।
17. अत्र-ित्र यह -ाँ िह ाँ अत्र अहां स्िर वि ित्र स ि ां स्िरवि।
18. यत्र-कु त्र जह -ाँ कह ाँ अद्य यत्र-कु त्र िष ा भविष्यवि।
19. इद नीि् इस सिय इद नीि् अहां भोजनां करोवि।
20. अधुन अब अधुन ियां विद्य लयां गच्छ ि:।
21. यद जब यद स: वलखवि िद क यं अभिि्।
22. िद िब यद स: वलखवि िद क यं अभिि्।
23. सहस अच नक/वबन सोचे सहस विदधीि न कक्रय ि् ।
24. िृथ व्यथा सिुिे िृवष्ट: िृथ ।
25. शनै: धीरे -धीरे कच्छप: शनै: चलवि।
26. इिस्िि: इधर-उधर र त्रौ कु क्कु र : इिस्िि: भ्रिवन्ि।
27. यकद-िर्हा यकद-िो यकद अत्र कोऽवप न िर्हा कु ि: ज ल:।
उद हरण वन-
1. पटरश्रिां............ कु त्र स फल्यि् ?
अ. ि आ. विन इ. श्व: ई. यत्र
2. धेन:ु .......... चलवि ।
अ. अत्र आ. च इ. श्व: ई. शनै:
3. िने नृत्यक यं ............... भिवि ।
अ. िृथ आ. कद इ. श्व: ई. शनै:
65
(iv) ियूर: नृत्य य .................. अध िन् ।
िञ्जूष
इिस्िि:, उचों ै:, अवप, सम्प्रवि
उत्तर वण-
i) सम्प्रवि
ii) अवप
iii) उचों ै:
iv) इिस्िि:
---------------------------------------------------------------------------------------
66
11. सांशोधनक याि्
वनयि :
1. वलड़्ग अशुवद्ध- पुसल्लांग, स्त्रीसलांग, नपुस
ां कसलांग
2. विभवक्त अशुवद्ध- प्रथि से सप्तिी िक
3. िचन अशुवद्ध- एकिचन, वद्विचन, बहुिचन
4. लक र अशुवद्ध- लि्, लृि्, लड़्ग, लोि्, विवधवलड़्ग
5.पुरुष अशुवद्ध- प्रथि, िध्यि, उत्ति पुरुष
1. वलड़्गदृष्य अशुवद्ध-सांशोधनि्
अशुद्ध ि क्य शुद्ध ि क्य
िृक्ष ि् पत्र : पिवन्ि। िृक्ष ि् पत्र वण पिवन्ि।
(यह ाँ पत्र शब्द नपुस
ां कसलांग होने के क रण पत्र वण आयेग ।)
2. विभवक्तदृष्य अशुवद्ध-सांशोधनि्
अशुद्ध ि क्य शुद्ध ि क्य
िृक्षि् पत्र वण पिवन्ि। िृक्ष ि् पत्र वण पिवन्ि।
(यह ाँ िृक्ष शब्द िें पञ्चिी विभवक्त आयेगी।)
ित्र विस्र: कन्य न ि् सवन्ि । ित्र विस्र: कन्य : सवन्ि। (प्र. बहु.)
गीि : विदुषी अवस्ि । गीि विदुषी अवस्ि । (प्र. एक.)
स र िां ि ि अवस्ि स र िस्य ि ि अवस्ि । (षष्ठी एक.)
अस्य कक्ष य ां ब लक : पिवन्ि। अवस्िन् कक्ष य ां ब लक : पिवन्ि।
67
एिि् ि ि् िि: अवस्ि । एिि् िि ििि् अवस्ि । (षष्ठी एक.)
र िां र िणां हि: । र ि: र िणां हि:। (प्र. एकिचन)
स: अक्ष्ण: क ण: । स: अक्ष्ण क ण: ।
3. िचनदृष्य अशुवद्ध-सांशोधनि्
अशुद्ध ि क्य शुद्ध ि क्य
विद्व न् सिात्र पूज्यन्िे। विद्व न् सिात्र पूज्यिे ।
(यह ाँ पूज्यन्िे की जगह एकिचन पूज्यिे आयेग ।)
दश ब लक: पिवि । दश ब लक : पिवन्ि ।
ससांह: क नने िसवन्ि । ससांह: क नने िसवि ।
स र िस्य ि ि सवन्ि स र िस्य ि ि अवस्ि ।
कक्ष य ां ब लक : पटिष्यवि। कक्ष य ां ब लक : पटिष्यवन्ि।
वपिरौ पुत्रां प लयवन्ि। वपिरौ पुत्रां प लयि:।
ियां भ रिीय : अवस्ि। ियां भरिीय : स्ि:।
िस्य चत्ि टर िधािे । िस्य चत्ि टर िधान्िे ।
4. लक रदृष्य अशुवद्ध-सांशोधनि्
अशुद्ध ि क्य शुद्ध ि क्य
अहां श्व: पत्रां वलख वि अहां श्व: पत्रां वलवखष्य वि।
(यह ाँ वलखवि की जगह वलख वि आयेग ।)
िृग: प्रविकदनां र् सां अख दि्। िृग: प्रविकदनां र् सां ख दवि।
ि वस ि ि् । त्र वह ि ि्।
दवध नक्तां न भुनक्तु दवध नक्तां न भुञ्जीि ।
भि न् शीघ्रि् नीरोग: भििु। भि न् शीघ्रि् नीरोग: भिेि् ।
सिाद सत्यां ब्रूवह । सिाद सत्यां ब्रूय ि् ।
अधुन िेर् : अगजान्। अधुन िेर् : गजावन्ि ।
िदवि रे ब लक ! िदिु रे ब लक !
5. पुरुषदृष्य अशुवद्ध-सांशोधनि्
अशुद्ध ि क्य शुद्ध ि क्य
भि न् कु त्र गच्छवस ? भि न् कु त्र गच्छवि ?
(यह ाँ कि ा प्रथि पुरुष क है अि: गच्छवि आयेग ।)
िे िि वित्र वण अवस्ि। िे िि वित्र वण सवन्ि ।
िह्यां िक्रां रोचे । िह्यां िक्रां रोचिे ।
यूयां गुरुजनां निवन्ि । यूयां गुरुजनां निथ ।
अहां च िे च हसवन्ि। अहां च िे च हस ि:।
त्िां प्रविकदनां क्रीडवि । त्िां प्रविकदनां क्रीडवस ।
68
स: त्िां च ककां कु रुि: ? स: त्िां च ककां कु रुथ: ?
भिवि कु त्र गच्छवस ? भिवि कु त्र गच्छवि ?
69
12. पटिि गद्य शाः
अधोवलवखि गद्य श
ां न् पटित्ि वनदेश नुस रां प्रश्न न् उत्तरि -
(1) अवस्ि देउल ्यो ग्र िाः। ित्र र जससांहाः न ि र जपुत्राः िसवि स्ि। एकद के न वप
आिश्यकक येण िस्य भ य ा बुवद्धििी पुत्रद्वयोपेि वपिुगृाहां प्रवि चवलि । ि गे गहनक नने
स एकां व्य नां ददशा । स व्य घ्रि गच्छन्िां दृष्ट्ि ध ष्टय ाि पुत्रौ चपेिय प्रहृत्य जग द-
“कथिेकैकशो व्य घ्रभक्षण य कलहां कु रुथाः? अयिेकस्ि िवद्वभज्य भुज्यि ि्। पश्च द् अन्यो
वद्विीयाः कवश्चल्लक्ष्यिे।” इवि श्रुत्ि व्य घ्रि री क वचकदयविवि ित्ि व्य घ्रो भय कु लवचत्तो
नष्टाः।
I) एकपदेन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
(i) र जससांहस्य भ य ा कु त्र गि ?
(ii) र जपुत्रस्य अवभध नि् ककि् आसीि्?
(iii) ककां न ि ग्र िाः अवस्ि ?
II ) पूणि
ा क्येन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
i)आगच्छन्िां व्य घ्रां दृष्ट्ि भ य ा ककि् अकरोि्?
ii) व्य घ्राः कथां नष्टाः ?
70
(ग) स (र्) चपेिय
उत्तर वण -
।- (i) वपिुगह
ृा ि् (ii) र जससांहाः (iii) देउल ्याः
।।- i)आगच्छन्िि् व्य घ्रि् दृष्ट्ि ध ष््य ि् पुत्रौ चपेिय प्रहृत्य उक्तििी-“कथि् एकै कशो
व्य घ्रभक्षण य कलहां कु रुथ:? अयि् एकाः ि िि् विभज्य भुज्यि ि्। पश्च ि् अन्यो वद्विीयाः
कवश्चल्लक्ष्यिे।”
ii)व्य घ्रि री क वचकदयविवि ित्ि व्य घ्रो भय कु लवचत्तो नष्टाः।
।।।- (i) (र्) स ii) (ख) र जपुत्र य iii) (क) व्य घ्रि्
( 2 ) अधोवलवखि गद्य श
ां न् पटित्ि वनदेश नुस रां प्रश्न न् उत्तरि -
भय कु लां व्य घ्रां दृष्ट्ि कवश्चि् धूिााः शृग लाः हसन्न ह- “भि न् कु िाः भय ि् पल वयिाः?”
व्य घ्राः – गच्छ, गच्छ जम्बुक! त्ििवप ककवञ्चद् गूढप्रदेशि्। यिो व्य घ्रि रीवि य श स्त्रे श्रूयिे
िय हां हन्िुि रब्धाः परां गृहीिकरजीवििो नष्टाः शीघ्रां िदग्रिाः।
शृग लाः – व्य घ्र! त्िय िहत्कौिुकि् आिेकदिां यन्ि नुष दवप वबभेवष ?
व्य घ्राः – प्रत्यक्षिेि िय स त्िपुत्र िेकैकशो ि ित्तुां कलह यि नौ चपेिय प्रहरन्िी दृष्ट ।
जम्बुकाः – स्ि विन्! यत्र स्िे स धूि ा ित्र गम्यि ि् । व्य घ्र! िि पुनाः ित्र गिस्य स
सम्िुखिपीक्षिे यकद, िर्हा त्िय अहां हन्िव्याः इवि।
व्य घ्राः – शृग ल! यकद त्िां ि ां िुक्त्ि य वस िद िेल प्यिेल स्य ि्।
जम्बुकाः – यकद एिां िर्हा ि ां वनजगले बद्ध्ि चल सत्िरि्। स व्य घ्राः िथ कृ त्ि क ननां ययौ।
शृग लेन सवहिां पुनर य न्िां व्य घ्र दूर ि् दृष्ट्ि बुवद्धििी वचवन्ििििी-जम्बुककृ िोत्स ह द्
व्य घ्र ि् कथां िुच्यि ि् ? परां प्रत्युत्पन्निविाः स जम्बुकि वक्षपन्त्यङ्गल्य िजायन्त्युि च ।
I) एकपदेन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
(i) गृहीिकरजीवििाः काः पल वयि:?
(ii) व्य घ्राः जम्बुकि् कु त्र गन्िुि् अकथयि्?
iii) प्रत्युत्पन्निविाः क आसीि्?
॥ ) पूणि
ा क्येन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
71
i)व्य घ्रन ककि् कु िान्िी स दृष्ट ?
ii )पुनर य न्िां व्य घ्रां दृष्ट्ि बुवद्धििी ककि् अवचन्ियि्?
उत्तर वण -
।- (i) व्य घ्राः (ii) गूढप्रदेशि् (iii) बुवद्धििी
।। i)व्य घ्रन स आत्िपुत्रौ एकै कशाः व्य घ्रि् अत्तुि् (ख कदिुि)् कलह यि नौ चपेिय प्रहरन्िी
दृष्ट ।
ii)पुनर य न्िां व्य घ्रां दृष्ट्ि बुवद्धििी अवचन्ियि् यि् जम्बुककृ िोत्स ह द् व्य घ्र ि् कथि्
िुच्यि ि्।
।।।- (i) (क) व्य घ्रस्य ii) (र्) व्य घ्रि् iii) (क) भि न्
72
भूिौ पवििे स्िपुत्रां दृष्ट्ि सिाधेनून ां ि िुाः सुरभेाः नेत्र भ्य िश्रूवण आविर सन्।
सुरभेटरि ििस्थ दृष्ट्ि सुर वधपाः ि िपृच्छि्-“अवय शुभ!े ककिेिां रोकदवष? उच्यि ि्”
इवि।
(॥ ) पूणि
ा क्येन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
i)क्रुद्धाः कृ षीिलाः ककि् अकरोि्?
ii )ि ि सुरवभाः ककिथं अश्रूवण िुञ्चवि स्ि?
उत्तर वण -
।- (i) िृषभाः (ii) कवश्चि् (iii ) सुर वधपाः
73
।।- i)कृ षक: क्रुद्धाः कृ षीिल: पवििां िृषभां उत्थ पवयिुि् बहुि रि् प्रयत्नि् अकरोि्।
ii )भूिौ पवििे स्िपुत्रां दृष्ट्ि ि ि सुरवभाः अश्रूवण िुञ्चवि स्ि।
।।।- (i) (र्) जिेन ii) (क) कवश्चि् iii) (ख) िृषाः
(॥) पूणि
ा क्येन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
(i)इन्िाः सुरवभ ककि् अपृच्छि्?
(ii )ि िुाः अवधक कृ प कवस्िन् भिवि?
74
(iii) ‘सरलिय ’ इवि पदस्य विपरीि थाकां पदि् ककि्?
(क) दैन्यां (ख) कृ च्रेण
(ग) िोढु ां (र्) बहुध
उत्तर वण -
।- (i) िृषभाः (ii) सुरवभाः ि ि (iii) सुरभेाः
।।- (i) “सहस्र वधके षु पुत्रष
े ु सत्स्िवप िि अवस्िन्नेि एि दृशां ि त्सल्यां कथि्?” इवि इन्िाः
सुरवभि् अपृच्छि्।
(ii ) दीने पुत्रे ि िुाः अवधक कृ प भिवि ?
।।।- (i) (क) पृष्ट ii) (र्) इन्ि य iii) (ख) कृ च्रेण
( ॥) पूणि
ा क्येन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
(i )वपि ककिथं व्य कु लाः ज िाः?
(ii ) करुण परो गृही िस्िै ककां प्र यच्छि् ?
75
(क) िनूजस्य (ख) िनयाः
(ग) स्िपुत्रां (र्) पुत्रां
उत्तर वण -
।- (i ) वनधानाः (ii ) अथाक येन (iii ) वित्ति्
।।- (i) िनूजस्य रु्णि ि् आकण्या वपि व्य कु लाः ज िाः।
( ii ) करुण परो गृही िस्िै आश्रयां प्र यच्छि् ।
।।।- (i) (क) िनूजस्य ii) (ख) वनधानजन य iii) (क) विह य
( 6 ) अधोवलवखि गद्य श
ां न् पटित्ि वनदेश नुस रां प्रश्न न् उत्तरि -
आदेशां प्र प्य उभौ प्र चलि ि्। ित्रोपेत्य क ष्ठपिले वनवहिां पि च्छ कदिां देहां स्कन्धेन
िहन्िौ न्य य वधकरणां प्रवि प्रवस्थिौ। आरक्षी सुपुष्टदेह आसीि्, अवभयुक्तश्च अिीि
कृ शक याः। भ रििाः शिस्य स्कन्धेन िहनां ित्कृ िे दुष्करि् आसीि्। स भ रिेदनय क्रन्दवि
स्ि। िस्य क्रन्दनां वनशम्य िुकदि आरक्षी ििुि च-“रे दुष्ट! िवस्िन् कदने त्िय ऽहां चोटरि य
िञ्जूष य ग्रहण द् ि टरिाः । इद नीं वनजकृ त्यस्य फलां भुक्ष्ि। अवस्िन् चौय ावभयोगे त्िां
िषात्रयस्य क र दण्डां लप्स्यसे” इवि प्रोच्य उचों ैाः अहसि्। यथ कथवञ्चद् उभौ शिि नीय
एकवस्िन् चत्िरे स्थ वपििन्िौ।
76
(iii ) ककां प्र प्य उभौ प्र चलि ि् ?
( ॥) पूणि
ा क्येन उत्तरि - (के िलां प्रश्नद्वयि् )
(i)जनस्य क्रन्दनां वनशम्य आरक्षी ककि् उक्ति न्?
(ii ) अवभयुक्तस्य कृ िे ककां दुष्करि् आसीि् ?
उत्तर वण -
।- (i) अविवथाः (ii) अविथेाः (iii ) आदेशि्
।।- (i) जनस्य क्रन्दनां वनशम्य आरक्षी उक्ति न्-“रे दुष्ट! िवस्िन् कदने त्िय अहि् चोटरि य ाः
िञ्जूष य ाः ग्रहण ि् ि टरिाः। इद नीं वनजकृ त्यस्य फलां भुङ्क्षि। अवस्िन् चौय ावभयोगे त्िां
िषात्रयस्य क र दण्डां लप्स्यसे।”
(ii ) अवभयुक्तस्य कृ िे भ रििाः शिस्य स्कन्धेन िहनां ित्कृ िे दुष्करि् आसीि् ।
।।।- (i) (ग) उभौ ii) (ख) िुकदिाः iii) (ग) अविथये
---------------------------------------------------------------------------------------
77
13. पटिि बोधनि् ( श्लोक ाः/पद्य ांश ाः)
उत्तर वण –
।- क) वपि ख) ब ल्ये ग) पुत्र य ।
।। - क) "अस्य पुत्रस्य वपि ककयि् िपाः अकरोि् " इवि उवक्ताः वपिरां प्रवि कृ िुज्ञि भिवि।
ख) वपि पुत्र य विद्य द िुां िपाः करोवि ।
।।। – क) िहि् ख) कृ िज्ञि ग) वपि र्) ब ल्ये ।
78
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) याः आत्िनाः श्रेयाः इच्छवि साः ककां न कु य ाि् ?
ख) ि निाः आत्िनाः ककां ककां इच्छवि ?
।।।-भ वषकक याि् –
क) "कल्य णां" इवि अथे श्लोके ककां पदां प्रयुक्ति्?
ख) "अवहिां किा" अनयोाः विशेष्यपदां ककि्?
ग) "य इच्छवि आत्िनाः श्रेयाः" ि क्ये किृापदां ककिवस्ि ?
र्) "अल्प वन" पदस्य विलोिपदां श्लोक ि् वचत्ि वलखि।
उत्तर वण –
। – आत्िनाः ख) सुख वन ग) अवहिि् ।
।। - क) परे भ्याः कद वप अवहिां न कु य ि
ा ।्
ख) ि निाः आत्िनाः श्रेयाः प्रभूि वन सुख वन च इच्छवि।
।।।- क) श्रेयाः ख) किा ग)याः र्) प्रभूि वन।।
3)ि युिड
ां लां भृशां दूवषिां न वह वनिालां जलि्।
कु वत्सििस्िुविवश्रिभक्ष्यां सिलां धर िलि्।
करणीयां बवहरन्िजागवि िु बहु शुद्धीकरणि्।।
।- एकपदेन उत्तरि–
क) धर िलां कीदृशां ज िि् ?
ख) बवहरन्िजागवि ककां करणीयां ििािे ?
ग) ककां भृशां दुवषिां ज िि् ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) भक्ष्यां कथां अभिि् ?
ख) कु त्र शुद्धीकरणस्य आिश्यकि ििािे ?
।।।- भ वषकक याि् -
क)-"अवधकां "अथे श्लोके काः शब्दाःआगिाः?
ख) "बवह" पदस्य विलोिपदां श्लोक ि् वचत्ि वलखि ।
ग) "वनिालां जलि्"अनयोाः विशेषणपदां ककि्?
79
उत्तर वण -
। – क) सिलि् ख) बहुशवद्धाः ग) ि युिण्डलि् ।
।। - क) भक्षयां कु वत्सििस्िुविवश्रिां अभिि् ।
ख) बवहरन्िजागवि शुद्धीकरणस्य आिश्यकि ििाि।े
।।।- क) भृशां ख) अन्िाः ग) वनिालि् ।।
उत्तर वण –
।- क) अक्षरां ख) योजकाः ग ) िूलि् ।।
।। -क) सांस रे अयो्याः पुरुषाः न वस्ि ।
ख) अक्षरां अिन्त्रां न भिवि ।
।।।- क) दुलभ ा ाः ख) अवस्ि ग) िन्त्रि्।।
5) विद्व स
ां एि लोके ऽवस्िन् चक्षुष्िन्िाः प्रकीर्िाि ाः।
अन्येष ां िदने ये िु िे चक्षुन ि
ा नी ििे ।।
।- एकपदेन उत्तरि-
क) लोके के चक्षुष्िन्िाः प्रकीर्िाि ाः ?
ख) चक्षुषी कु त्र भििाः ?
80
ग) विद्व ांसाः कु त्र चक्षुष्िन्िाः कवथि ाः ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि-
क) विद्व ांसाः कु त्र चक्षुष्िन्िाः कवथि ाः?
ख) के चक्षुन ािनी ििे )
।।।- भ वषकक याि् -
क) " िूख "ा पदस्य विलोिपदां श्लोक ि् वचत्ि वलखि।
ख) "नेत्रिन्िाः"इवि अथे श्लोके ककां पदिवस्ि ?
ग) "प्रकीर्िाि ाः "इवि कक्रय पदस्य किृापदां ककि्?
उत्तर वण -
। - क)विद्व स
ां ाः ख) िदने ग) लोके ।
।। - क)।विद्व सां ाः अवस्िन् लोके चक्षुष्िन्िाः कवथि ाः ।
ख) अन्येष ां ( िूख ण ा )ां िदने ये चक्षुषी भििाः ।
।।।- क) विद्व स ां ाः ख)चक्षुष्िन्िाः ग) विद्व स
ां ाः।।
उत्तर वण –
। - क) लि िरुगुल्ि ाः ख) जीिनां ग) ि नि य ।
81
।। - क) प ष णी सभ्यि वनसगे सि विष्ट न स्य ि् ।
ख) लि िरुगुल्ि ाः प्रस्िरिले वपष्ट ाः न भिन्िु।
।।।- क) सभ्यि ख) जीिनां ग) लि िरुगुल्ि ाः। ।
उत्तर वण –
। - क) विवचत्राः ख) अश्वाः ग) ककवञ्चि् ।
।।- क) खराः भ रस्य िहने िीराः भिवि।
ख) विवचत्रे सांस रे ककवञ्चि् वनरथाकां न वस्ि ।
।।। - क) िीराः ख) खराः ग) िीराः ।।
82
ग) च िकाः कु त्र िसवि ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि-
क) वपप वसिाः च िकाः ककां ककां करोवि?
ख) वपप वसिाः काः वम्रयिे ?
।।।- भ वषकक याि् -
क) "इन्िि्" पदस्य पय य
ा पदां ककि् ?
ख) "खग: ि नी" अनयोाः विशेषणपदां ककि् ?
ग) "य चिे" इवि कक्रय पदस्य किृापदां श्लोके ककि् ?
उत्तर वण –
। - क) ि नी ख) पुरन्दरि् ग) िने ।।
।। - क) वपप वसिाः च िकाः वम्रयिे अथि पुरन्दरां य चिे ।
ख) वपप वसिाः च िकाः वम्रयिे ।
।।।- क) पुरन्दरि् ख) ि नी ग) च िकाः ।
9- एके न र जहांसन
े य शोभ सरसो भिेि् ।
न स बकसहस्रेण पटरिस्िीरि वसन ।।
। -एकपदेन उत्तरि-
क) सरसाः शोभ के न भिवि ?
ख) कस्य शोभ र जहांसन
े भिवि ?
ग) र जहांसेन क भिवि?
।।-पूणि
ा क्येन उत्तरि-
क) सरसाः शोभ के न न भिवि?
ख) बक ाः कु त्र वनिसवन्ि?
।।।-भ वषकक याि् -
क) "न स बक–" इवि ि क्ये " स " इवि सिान िपदां कस्यै प्रयुक्ति् ?
ख) "िड गस्य" इवि अथे श्लोके ककां पदां अवस्ि?
ग)"एके न " पदस्य विलोिपदां वचत्ि वलखि।
83
उत्तर वण –
। - क) र जहांसन
े ख) सरसाः ग) शोभ ।
।। - क )बकसहस्रेण सरसाः शोभ न भिवि।
ख) बक ाः सराः पटरिाः वनिसवन्ि।
।।।- क) शोभ ख) सरसाः ग) सहस्रेण ।।
उत्तर वण –
। - क) श्वेिाः ख) श्वेिाः ग) हांसाः ।
।। - क) बकाः हांसाः च श्वेिौ भििाः ।
ख) बकहांसयोाः िध्ये भेदाः न भिवि ।
।।।- क) श्वेिाः ख) श्वेिाः ग) हांसाः ।
84
क) वचत्ते क भिेि् ?
ख) ि वच क भिेि् ?
ग) के वचत्ते ि वच च अिक्रि ां सित्िां कथयवन्ि ?
।। – पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) अिक्रि कु त्र कु त्र भिेि् ?
ख) िह त्ि नाः ककां सित्िां िदवन्ि ?
।।। -भ वषकक याि् –
क) "यथ थारूपेण" इवि अथे श्लोके ककां पदां अवस्ि?
ख) "िक्रि " पदस्य विलोि पदां ककि् ?
ग) "आहुाः" इवि कक्रय पदस्य किृापदां ककि् ?
उत्तर वण –
। -क) अिक्रि ख) अिक्रि ग) िह त्ि नाः।।
।। - क) अिक्रि वचत्ते ि वच च भिेि् ।
ख) यथ वचत्ते अिक्रि भिवि यकद िथैि ि वच अवप भिेि् ।
।।।- क) िथ्यिाः ख) अिक्रि ग) िह त्ि नाः ।
85
ग) "पक्वां फलां " अनयोाः विशेषणपदां ककि् ?
उत्तर वण –
।- क) धिाप्रद ां ख) वििूढधीाः ग) वििूढधीाः।
।।- क) वििूढधीाः धिाप्रद ां ि चां त्यजवि परुष ां च िदवि ।
ख) वििूढधीाः अपक्वां फलां ख दवि ।
।।। - क)परुष ां ख) पटरत्यज्य ग) पक्वि्।
86
14- आच राः प्रथिो धिााः इत्येिि् विदुष ां िचाः ।
िस्ि ि् रक्षेि् सद च रां प्र णेभ्योऽवप विशेषिाः।।
। - एकपदेन उत्तरि-
क) काः प्रथिाः धिााः ?
ख) के भ्याः अवप सद च रां रक्षेि् ?
ग) आच राः कििाः धिााः ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) ककिथं सद च रां रक्षेि् ?
ख) के कथयवन्ि "आच राः प्रथिाः धिााः" इवि ?
।।।- भ वषकक याि् -
क)"िूख ाण ि्" पदस्य विलोिपदां अत्र ककां अवस्ि ?
ख) "प्रथिाः धिााः" अनयोाः विशेषणपदां ककि् ?
ग) "रक्षणीयाः" इवि अथे श्लोके ककां पदां प्रयुक्ति् ?
उत्तर वण –
।- क)आच राः ख) प्र णेभ्याः ग) प्रथिाः
।।- क) आच राः प्रथिो धिााः,इवि विदुष ां िचाः अिाः सद च रां रक्षेि् ।
ख) विद्व स
ां ाः कथयवन्ि" आच राःप्रथिाः धिााः" इवि
।।।- क)विदुष ि् ख)प्रथिाः ग ) रक्षेि् ।
87
ख) ि यसाः ककां न िेवत्त ?
।।। - भ वषकक याि-्
क) "क काः" पदस्य पय ायपदां ककि् ?
ख) " गुणी गुणां िेवत्त" इवि ि क्ये कक्रय पदां ककिवस्ि ?
ग) "वनबालाः" पदस्य विलोिपदां श्लोके ककि् अवस्ि ?
उत्तर वण-
।- क) बली ख) गुणां ग)िसन्िस्य ।
।।- क) िूषकाः ससांहस्य बलां न ज न वि ।
ख) ि यसाः िसन्िस्य गुणां न िेवत्त ।
।।।- क) ि यसाः ख) िेवत्त ग) बली
88
14. पटिि िबोधनि् (न य श
ां ाः) 5 अांक ाः
चिुथााः प िाः (वशशुल लनि्)
प्रश्न- अधोवलवखि न् न य श
ां न् पटित्ि प्रदत्त प्रश्न न ां उत्तर वण वलखि– 5अांक ाः
(1) (ससांह सनस्थाः र िाः।ििाः प्रविशिाः विदूषके नोपकदश्यि नि गौ ि पसौ कु शलिौ)
विदूषकाः - इि इि आयौ! कु शलिौ - —(र िि् उपसृत्य प्रणम्य च) अवप कु शलां
िह र जस्य?
र िाः - युष्िद्दशान ि् कु शलविि। भििोाः ककां ियित्र कु शलप्रश्नस्य भ जनि् एि, न
पुनरविवथजनसिुवचिस्य कण्ि श्लेषस्य। (पटरष्िज्य) अहो हृदयग्र ही स्पशााः।
उभौ- र ज सनां खल्िेिि्,न युक्तिध्य वसिुि्
र िाः - सव्यिध नां न च टरत्रलोप य। िस्ि दङ्क- व्यिवहििध्य स्यि ां ससांह सनि्।
( अांङ्किुपिेशयवि)
उभौ - (अवनच्छ ां न ियिाः) र जन्!
अलिविद वक्षण्येन।
र िाः - अलिविश लीनिय ।
भिवि वशशुजनो ियोऽनुरोध द्
गुणिहि िवप ल लनीय एि।
व्रजवि वहिकरोऽवप ब लभ ि ि्
पशुपवि-िस्िक-के िकच्छदत्िि्।।
।-एकपदेन उत्तरि-
क) र िाः कु त्र वस्थिाः ?
ख) काः पशुपवि िस्िक के िकच्छदत्िां व्रजवि ?
ग) कौ कथयिाः ससांह सनि् खल्िेिि्?
।। - पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) स्पशााः कीदृशाः अवस्ि ?
ख) ियोऽनुरोध ि् काः के ष ां च ल लनीयाः ?
ग) ि पसौ कु शलिौ कथां प्रविशिाः ?
।।। -भ वषकक याि-्
क) "ि पसौ कु शलिौ" अनयोाः विशेषण पदां ककि् ?
ख) "प त्रि्" इत्यथे न य ांशे काः शब्दाः प्रयुक्ताः ?
ग) "धृष्टिय " इवि पदस्य विलोिपदां अत्र ककि् ?
89
(2) र िाः – एष भििोाः सौन्दय ािलोकजवनिेन कौिूहलेन पृच्छ वि-क्षवत्रयकु ल-
वपि िहयोाः सूयाचन्ियोाः को ि भििोिंशस्य कत्त ा?
लिाः - भगिन् सहस्रदीवधविाः।
र िाः - कथिस्ित्सि न वभजनौ सांिृत्तौ?
विदूषकाः —ककां द्वयोरप्येकिेि प्रवििचनि्?
लिाः - भ्र िर ि ि ां सोदयौ।
र िाः - सिरूपाः शरीरसवन्निेशाः। ियसस्िु न ककवञ्चदन्िरि्।
लिाः - आि ां यिलौ।
र िाः - सम्प्रवि युज्यिे। ककां न िधेयि्?
लिाः - आयास्य िन्दन य ां लि इत्य त्ि नां श्र िय वि (कु शां वनर्दाश्य आयोऽवप
गुरुचरणिन्दन य ि् .......................l
कु शाः - अहिवप कु श इत्य त्ि नां श्र िय वि।
र िाः - अहो! उद त्तरम्याः सिुद च राः।
।-एकपदेन उत्तरि –
क) "उद त्तरम्याः सिुद च राः" इवि काः कथयवि?
ख) कौ यिलौ स्िाः ?
ग) लिकु शयोाः द्वयोरप्येकिेि ककां आसीि् ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि-
क) लिाः कथां स्िपटरचयां दद वि ?
ख) र िाः कौिूहलेन ककां पृच्छवि ?
ग) "आि ां सौदयौ "इवि लिस्य िचनां श्रुत्ि र िाःककां वचन्ियवि ?
।।।- भ वषकक याि–्
क) "श्र िय वि" कक्रय पदस्य किृापदां ककि् ?
ख)"आयुषाः" इत्यथे अत्र ककां पदां प्रयुक्ति् ?
ग)"अवशष्ट च राः" पदस्य विलोिपदां ककि् ?
90
लिाः - उपनयनोपदेशेन।
र िाः - अहित्रभििोाः जनकां न ििो िेकदिुविच्छ वि।
लिाः - न वह ज न म्यस्य न िधेयि् । न कवश्चदवस्िन् िपोिने िस्य न ि व्यिहरवि।
र िाः - अहो ि ह त्म्यि्।
कु शाः - ज न म्यहां िस्य न िधेयि् ।
र िाः - कथ्यि ि्।
कु शाः - वनरनुक्रोशो न ि....
र िाः - ियस्य, अपूिं खलु न िधेयि्।
विदूषकाः - (विवचन्त्य)एिां ि िि् पृच्छ वि। वनरनुक्रोश इवि क एिां भणवि?
कु शाः - अम्ब ।
विदूषकाः - ककां कु वपि एिां भणवि, उि प्रकृ विस्थ ?
कु शाः - यद्य ियोब ालभ िजवनिां ककवञ्चदविनयां पश्यवि िद एिि् अवधवक्षपवि-वनरनुक्रोशस्य
पुत्रौ, ि च पलि् इवि।
।-एकपदेन उत्तरि-
क) ज न म्यहि् िस्य न िधेयविवि काः िदवि?
ख) अम्ब ब लभ िजवनिां ककां पश्यवि ?
ग) कु शलियोाः गुरुाः काः ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) अम्ब कु वपि ककां भणवि ?
ख) विदूषकाः विवचन्त्य ककां कथयवि ?
ग) लिाः ि िुाः न ि विषये ककां िदवि ?
।।।-भ वषकक याि् -
क) "िदवि" इत्यथे अत्र ककां पदां प्रयुक्ति् ?
ख) "इच्छ वि" इवि कक्रय पदस्य किृापदां ककि् ?
ग) "विनयां" पदस्य विलोिपदां वचत्ि वलखि -
91
कु िूहलेन विष्टो ि िरिनयोन ाििो िेकदिुविच्छ वि। न युक्तां स्त्रीगििनुयोक्तु ि्,
विशेषिस्िपोिने। िि् कोऽत्र भ्युप याः?
। - एकपदेन उत्तरि-
क) "वधङ् ि िेिांभिि्" काः कथयवि ?
ख)जननी कौ वनभात्सायवि ?
ग)प्रि साः कीदृशो ििािे ?
।। - पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) िपवस्िनी स्ि पत्यां कथां भत्सायवि?
ख) र िाः कु त्र स्त्रीगििनुयोक्तां युक्तां न िन्यिे ?
ग) काः कु शलियोाः ि िरां न ििो िेकदिुविच्छवि?
।।।- भ वषकक याि् -
क) "अनुवचिां" पदस्य विलोिपदां ककि् ?
ख) "जननी"इवि किृापदस्य कक्रय पदां ककि् ?
ग) "अविदीर्ााः प्रि साः" अत्र विशेष्यपदां ककि् ?
(5) 'न य ांश:-" विदूषकाः - (जन वन्िकि्) अहां पुनाः पृच्छ वि। (प्रक शि्) ककां न िधेय
युियोजाननी ?
लिाः - िस्य ाः द्वे न िनी।
विदूषकाः - कथविि?
लिाः - िपोिनि वसनो देिीवि न म्न ह्ियवन्ि, भगि न् ि ल्िीककिाधूटरवि ।
र िाः - अवप च इिस्ि िद् ियस्य!
िुहूत्ताि त्र ि्।
विदूषकाः - (उपसृत्य) आज्ञ पयिु भि न्।
र िाः - अवप कु ि रयोरनयोरस्ि कां च सिाथ सिरूपाः कु िु म्बिृत्त न्िाः?
(नेपथ्ये)
इयिी िेल सञ्ज ि र ि यणग नस्य वनयोगाः ककिथं न विधीयिे ?
उभौ - र जन्! उप ध्य यदूिोऽस्ि न् त्िरयवि।
र िाः - िय वप सम्ि ननीय एि िुवनवनयोगाः ।
। - एकपदेन उत्तरि -
92
क) काः त्िरयवि?
ख)िस्य ाः द्वे न िनी इवि काः िदवि ?
ग) के देिीवि न म्न आह्ियवन्ि ?
।। - पूणि
ा क्येन उत्तरि -
क) कयोाः सिरूपाः कु िु म्बिृत्त न्िाः?
ख)काः िधूटरवि आह्ियवि ?
ग) कस्य वनयोगाः न कक्रयिे ?
।।।- भ वषकक याि् –
क)"गुरुाः" इवि अथे न य ांशे काः शब्दाः प्रयुक्ताः ?
ख) "युियोाः जननी" अत्र "युियोाः" इवि सिान िपदां क भ्य ि् प्रयुक्ति् ?
ग) "दूरीभूय" इवि पदस्य विलोिपदां ककि्?
93
ख) क काः ककां भक्षयवि ?
ग) "यिाः त्िां िनर जाः भवििुां सिाथ अयो्याः"एिां काः िदवि?
।। - पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) वपकाः उपहसन् ककां कथयवि ?
ख) र ज कीदृशाः भिवि ?
ग) काः कृ ि न्िाः कथ्यिे ?
।।।- भ वषकक याि-्
क) "िेध्यि्" पदस्य विलोिपदां अत्र ककां अवस्ि ?
ख)"िुदवन्ि" कक्रय पदस्य किृापदां ककि् ?
ग) "यिर जाः" पदस्य पय ायपदां न य ांश ि् वचत्ि वलखि।
94
ग) क काः वपकस्य विषये ककां िदवि ?
।।।- भ वषकक याि् –
क) "अहां कृ ष्णिणााः िर्हा' – ि क्ये 'अहां' सिान िपदां कस्िै प्रयुक्ति् ?
ख)' असत्यां' पदस्य पय ायपदां ककि् ?
ग) 'दशेि'् इत्यस्य कक्रय पदस्य किृापदां ककि् ?
(8) गजाः - सिीपिाः एि गच्छन् अरे ! अरे ! सिा सम्भ षणां शृण्िन्नेि हि् अत्र गच्छि्।
अहां विश लक याः, बलश ली, पर क्रिी च। ससांहाः ि स्य ि् अथि अन्याः कोऽवप, िन्यपशून् िु
िुदन्िां जन्िुिहां स्िशुण्डेन पोथवयत्ि ि रवयष्य वि। ककिन्याः कोऽप्यवस्ि एि दृशाः पर क्रिी।
अिाः अहिेि
यो्याः िनर जपद य।
ि नराः - अरे ! अरे ! एिां ि ।(शीघ्रिेि गजस्य वप पुच्छां विधूय िृक्षोपटरआरोहवि।
(गजाः िां िृक्षिेि स्िशुण्डेनआलोडवयिुविच्छवि परां ि नरस्िु कू र्दात्ि अन्यां िृक्षि रोहवि।
एिां
गजां िृक्ष ि् िृक्षां प्रवि ध िन्िां दृष्ट्ि ससांहाः अवप हसवि िदवि च)।
ससांहाः - भोाः गज! ि िप्येििेि िुदन् एिे ि नर ाः।
ि नराः - एिस्ि देि िु कथय वि यदहिेि यो्याः िनर जपद य येन विश लक यां
पर क्रविणां, भयांकरां च वप वसहां गजां ि पर जेिुां सिथ ा अस्ि कां
ज विाः। अिाः िन्यजन्िून ां रक्ष यै ियिेि क्षि ाः।।
। - एकपदेन उत्तरि-
क) गजाः के न जन्िून् फोथवयत्ि ि रवयष्यवि ?
ख) ि नराः कु त्र आरोहवि ?
ग) काः बलश ली विश लक याः च ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि-'
क) ससांहाः ककां कथयवि ?
ख) के ष ां रक्ष यै ि नर ाः क्षि ाः सवन्ि ?
ग) गजाः स्िविषये ककां ककां कथयवि ?
।।।- भ वषकक याि-्
क) 'सिथ ााः ' इत्यथे न य ांशे ककां पदां प्रयुक्ति् ?
ख) 'िदवि' इत्यस्य कक्रय पदस्य किृापदां ककि् ?
ग) 'िुदन्िां जन्िुां' अनयोाः विशेषणफदां ककि् ?
95
(9) अरे ! अरे ! ि ां विह य कथिन्याः कोऽवप र ज भवििुिहावि। अहां िु
शीिले जले बहुक लपयान्िि् अविचलाः ध्य नििाः वस्थिप्रज्ञ इि
वस्थत्ि सिेष ां रक्ष य ाः उप य न् वचन्िवयष्य वि, योजन ां वनिीय च
स्िसभ य ां विविधपदिलङ्कु ि ाणैाः जन्िुवभश्च विवलत्ि रक्षोप य न्
कक्रय वन्िि न् क रवयष्य वि, अिाः अहिेि िनर जपदप्र प्तये यो्याः।
ियूराः - (िृक्षोपटरिाः-स ट्टह सपूिाकि्) विरि विरि आत्िश्ल र् य ाः ककां न
ज न वस यि्-
यकद न स्य न्नरपविाः सम्यङ्नेि ििाः प्रज ।
अकणाध र जलधौ विप्लिेिेह नौटरि।।
को न ज न वि िि ध्य न िस्थ ि्। ‘वस्थिप्रज्ञ’ इवि व्य जेन िर क न् िीन न् छलेन अवधगृह्य
क्रूरिय भक्षयवस। वधक् त्ि ि्। िि क रण त्तु सिं पवक्षकु लिेि िि वनिां ज िि्।
ि नराः - (सगिाि)् अिएि कथय वि यि् अहिेि यो्याः िनर जपद य। शीघ्रिेि
िि र ज्य वभषेक य ित्पर ाः भिन्िु सिे िन्यजीि ाः।
।- एकपदेन उत्तरि-
क) काः शीिले जले बहुक लपयान्िां विष्ठवि ?
ख) ि नराः ककिथं ित्पर ाः भवििुां कथयवि ?
ग) प्रज कु त्र नौटरि विप्लिेि ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि-
क) ियूराः िृक्षोपटरिाः ककां िदवि ?
ख) बकाः कथां रक्षोप य न् कक्रय वन्िि न् कटरष्यवि ?
ग) बकाः कथां िीन न् भक्षयवि ?
।।।- भ वषकक याि् –
क)'गिेण सवहिि् 'इवि ि क्यस्य कृ िे न य ांशे एकपदां ककि् ?
ख) 'शीिले जले ' अनयोाः विशेष्यपदां ककि् ?
ग) 'स्िप्रशांस य ाः' इत्यस्य पय ायपदां ककि् ?
(10) ियूराः - अरे ि नर! िूष्णीं भि। कथां त्िां यो्याः िनर जपद य? पश्यिु पश्यिु
िि वशरवस र जिुकुिविि वशख ां स्थ पयि विध त्र एि हां पवक्षर जाःकृ िाः, अिाः िने
वनिसन्िां ि ां िनर जरूपेण वप िष्टु ां सज्ज ाः भिन्िुअधुन । यिाः कथां कोऽप्यन्याः विध िुाः
वनणायि् अन्यथ किुं क्षिाः।।
96
क काः - (सव्यङ््यि्) अरे अवहभुक्। नृत्य विटरक्तां क िि विशेषि यि् त्ि ां
िनर जपद य यो्यां िन्य िहे ियि्।
ियूराः - यिाः िि नृत्यां िु प्रकृ िेाः आर धन । पश्य! पश्य! िि वपच्छ न िपूिं
सौंदयाि् (वपच्छ नुद्घ य नृत्यिुि य ां वस्थिाः सन्) न कोऽवप त्रौलोक्ये ित्सदृशाः सुन्दराः।
िन्यजन्िून िुपटर आक्रिणां कि ारां िु अहां स्िसौन्दयेण नृत्येन च आकर्षािां कृ त्ि िन ि्
बवहष्कटरष्य वि। अिाः अहिेि यो्याः िनर जपद य। (एिवस्िन्नेि क ले व्य घ्रवचत्रकौ अवप
नदीजलां प िुि गिौ एिां विि दां शृणुिाः िदिाः च)
व्य घ्रवचत्रकौ - अरे ककां िनर जपद य सुप त्रां चीयिे?
।-एकपदेन उत्तरि-
क) कौ िदिाः सुप त्रां चीयिे' इवि ।
ख) क काः ियूरां के न पदेन सम्बोधयवि ?
ग) ियूराः वपच्छ नुद्घ य कथां विष्ठवि ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) विध त्र कथां ियूराः पवक्षर जाः कृ िाः?
ख) व्य घ्रवचत्रकौ ककिथं आगिौ ?
ग) ियूराः कथां िन ि् बवहष्कटरष्यवि ?
।।।- भ वषकक याि् -
क) 'ईश्वरे ण' इवि अथे न य ांशे काः शब्दाः प्रयुक्ताः?
ख) 'अक्षिाः" पदस्य विलोिपदां ककि् ?
ग) 'िनर जपद य यो्यां िन्य िहे ियि् ' ि क्ये कक्रय पदां ककि् ?
(11) व्य घ्रवचत्रकौ – एिदथं िु आि िेि यो्यौ। यस्य कस्य वप चयनां कु िान्िु सिासम्ित्य ।
ससांहाः - िूष्णीं भि भोाः। युि िवप ित्सदृशौ भक्षकौ न िु रक्षकौ। एिे िन्यजीि ाः भक्षकां
रक्षकपदयो्यां न िन्यन्िे।अिएि विच रवििशााः प्रचलवि।
बकाः - सिाथ सम्यगुक्ति् ससांहिहोदयेन। िस्िुिाः एि ससांहने बहुक लपयान्िां
श सनां कृ िि् परिधुन िु कोऽवप पक्षी एि र जेवि वनश्चेिव्यि् अत्र िु सांशीविलेशस्य वप
अिक शाः एि न वस्ि।
सिे पवक्षणाः - (उचों ैाः- आि् आि्- कवश्चि् खगाः एि िनर जाः भविष्यवि इवि।
(परां कवश्चदवप खगाः आत्ि नां विन न न्यां किवप अस्िै पद य यो्यां वचन्ियवन्ि िर्हा कथां
वनणायाःभिेि् िद िैाः सिैाः गहनवनि य ां वनवश्चन्िां स्िपन्िि् उलूकां िीक्ष्य विच टरिि् यदेषाः
आत्िश्ल र् हीनाः पदवनर्लाप्ताः उलूको एि स्ि कां र ज भविष्यवि )।
।-एकपदेन उत्तरि–
97
क) काः अस्ि कां र ज भविष्यवि ?
ख)के न सिाथ सम्यगुक्ति् ?
ग) िनर जपद य कौ आत्ि नां यो्यौ िन्येिे ?
।।-पूणि
ा क्येन उत्तरि-
क) िन्यजीि ाः ककां न िन्यन्िे ?
ख) बकाःककां कथयवि?
ग) सिे पवक्षणाः ककां िदवन्ि ?
।।।- भ वषकक याि् –
क) 'दृष्ट्ि ' इवि अथे अत्र ककां पदां प्रयुक्ति्?
ख) 'भक्षकां ' पदस्य विलोिपदां न य ांशे ककि्?
ग) 'वनवश्चन्िां स्िपन्िां' अनयोाः विशेषणपदां ककि् ?
(12) प्रकृ विि ि - (सस्नेहि्) भोाः भोाः प्र वणनाः। यूयि् सिे एि िे सन्िविाः। कथां विथाः कलहां
कु िावन्ि। िस्िुिाः सिे िन्यजीविनाः अन्योन्य वश्रि ाः। सदैि स्िरि-
दद वि प्रविगृह्ण वि, गुह्यि ्य वि पृच्छवि।
भुङ्िेभोजयिे चैि षड् -विधां प्रीविलक्षणि्।।
(सिे प्र वणनाः सििेिस्िरे ण)
ि िाः! कथयवि िु भििी सिाथ सम्यक् परां
ियां भििीं न ज नीिाः। भित्य ाः पटरचयाः काः?
प्रकृ विि ि - अहां प्रकृ विाः युष्ि कां सिेष ां
जननी? यूयां सिे एि िे वप्रय ाः। सिेष िेि
ित्कृ िे िहत्त्िां विद्यिे यथ सियि् न ि िि्
कलहेन सियां िृथ य पयन्िु अवपिु
विवलत्ि एि िोदध्िां जीिनां च रसियां कु रुध्िि्। िद्यथ कवथिि्-
प्रज सुखे सुखां र ज्ञाः, प्रज न ां च वहिे वहिि्।
न त्िवप्रयां वहिां र ज्ञाः, प्रज न ां िु वप्रयां वहिि्।।
प्र वणन ां ज यिे ह वनाः परस्परविि दिाः।
अन्योन्यसहयोगेन ल भस्िेष ां प्रज यिे।।
। - एकपदेन उत्तरि-
क) के ष ां ह वनाः ज यिे ?
ख) क सस्नेहां िदवि ?
98
ग) जीिनां कीदृशां कु रुध्िि् ?
।।- पूणि
ा क्येन उत्तरि–
क) प्रीवि-लक्षण वण क वन सवन्ि ?
ख) सिे प्र वणनाः सििेि स्िरे ण ककां िदवन्ि?
ग) र ज्ञाः सुखे के ष ां सुखि् ?
।।। - भ वषकक याि् -
क) 'ह वनाः' इत्यस्य अत्र विलोिपदां ककि् ?
ख) ' परस्परां ' इत्यथे न य ांशे काः शब्दाः प्रयुक्ताः ?
ग) 'ज नीिाः' इवि कक्रय पदस्य किृापदां ककि् ?
उत्तर वण
चिुथााः प िाः (वशशुल लनि्)
(1) उत्तर वण
।- क- ससांह सने ख-वहिकराः ग- उभौ( लिकु शौ(
।।- क- स्पशााः हृदयग्र ही अवस्ि ।
ख- ियोऽनुरोध ि् वशशुजनाः गुणिहि िवप ल लनीयाः ।
ग - ि पसौ कु शलिौ विदूषके नोपकदश्यि नि गौ प्रविशिाः ।
।।। - क- ि पसौ ख- भ जनि् ग- श लीनिय ।
(2) उत्तर वण -
। - क- र िाः ख– कु शलिौ ग- प्रवििचनि् ।
।। -क- आयास्य िन्दन य ां लि इत्य त्ि नां श्र िय वि ।
ख- र िाः कौिूहलेन पृच्छवि- क्षवत्रयकु ल वपि िहयोाः सूयच
ा न्ियोाः को ि भििोिंशस्य
कि ा ।
ग - र िाः वचन्ियवि-" सिरूपाः शरीरसवन्निेशाः। ियसस्िु न ककञ्चदन्िरि् ।
।।। - क - अहि् ख- ियसाः ग- सिुद च राः ।
(3) उत्तर वण
।-क- कु शाः ख- अविनयि् ग- ि ल्िीककाः ।
।।-क- अम्ब कु वपि िदवि-" वनरनुक्रोशस्य पुत्रौ ि च पलि् " इवि ।
ख- एिां ि िि् पृच्छ वि। वनरनुक्रोश इवि क एिां भणवि ?
99
ग- लिाः ि िुाः न ि विषये कथयवि " नवह ज न म्यस्य न िधेयि् । न कवश्चदवस्िन् िपोिने
िस्य न ि व्यिहरवि ।
।।। - भ वषकक याि् - क- भणवि ख- अहि् ग- अविनयि् ।
(4) उत्तर वण –
।- क- र िाः ख- द रकौ ग- अविदीर्ााः ।
।। - क- िपवस्िनी स्ि पत्यां िन्युगभैाःअक्षरै ाः भत्सायवि ।
ख – र िाः िपोिने स्त्रीगििनुयोक्तुां युक्तां न िन्यिे।
ग– र िाः िेकदिुविच्छवि ।
।।।- भ वषक याि् – क- युक्तां ख वनभात्सायवि ग- प्रि साः ।
(5) उत्तर वण -
।- क- उप ध्य यदूिाः ख- लिाः ग- िपोिनि वसनाः ।
।। - क- कु ि रयोरनयोाः अस्ि कां च सिरूपाः कु िु म्बिृत्त न्िाः ।
ख- भगि न् ि ल्िीककाः िधूटरवि आह्ियवि ।
ग- र ि यणग नस्य वनयोगाः न कक्रयिे ।
।।। - क -उप ध्य याः ख- कु शलि भ्य ि् ग- उपसृत्य ।।
(7) उत्तर वण -
।- क-परभृि् ख- क काः ग - वपकाः।।
।।- क- िसन्िसिये वपकक कयोाः भेदाः ज्ञ यिे ।
ख- क कचेष्टाः विद्य थी एि आदशाच्छ त्राः िन्यिे ।
100
ग - क काः वपकस्य विषये िदवि -' रे परभृि् ! यकद अहां िि सन्िसिां न प लय वि िर्हा कु िाः
स्युाः वपक ाः ?
।।।- क- क क य ख- अनृिि् ग- क काः ।
(9) उत्तर वण
।- क -बकाः ख- र ज्य वभषेक य ग- जलधौ ।
।।- क- ियूराः िृक्षोपटरिाः स ट्टह सां िदवि - विरि विरि आत्िश्ल र् य ाः।
ख - योजन ां वनिीय स्िसभ य ां विविधपदिलङ्कु ि ण ा ाःै जन्िुवभश्च विवलत्ि बकाः
रक्षोप य न् कक्रय वन्िि न् कटरष्यवि ।
ग - बकाः वस्थिप्रज्ञ इवि व्य जेन िर क न् िीन न् छलेन अवधगृह्य भक्षयवि ।
।।।- क- सगिाि् ख- जले ग- आत्िश्ल र् य ाः ।
(10) उत्तर वण
।- क - व्य घ्रवचत्रकौ ख - अवहभुक् ग - नृत्यिुि य ि् ।
।। - क - ियूरस्य वशरवस वशख ां स्थ पयि विध त्र पवक्षर जाः कृ िाः ।
ख - व्य घ्रवचत्रकौ नदीजलां प िुि गिौ ।
ग - ियूराः स्िसौन्दयेण नृत्येन च आकर्षािां कृ त्ि िन ि् बवहष्कटरष्यवि ।
।।। - क- विध त्र ख- क्षिाः ग- िन्य िहे ।।
(11) उत्तर वण –
।- क-उलूकाः ख- ससांहिहोदयेन ग- व्य घ्रवचत्रकौ ।
।। - क- िन्यजीि ाः भक्षकां रक्षकपदयो्यां न िन्यन्िे ।
ख- बकाः कथयवि सम्यगुक्तां ससांहिहोदयेन। िस्िुिाः एि ससांहन
े —---र जेवि वनश्चेिव्यि् ।
ग - कवश्चि् खगाः एि िनर जाः भविष्यवि ।
।।।- क- िीक्ष्य ख- रक्षकां ग- वनवश्चन्िि् ।
101
(12) - उत्तर वण –
। - क- प्र वणन ां ख - प्रकृ विि ि ग- रसियि् ।
।। - क- दद वि प्रविगृह्ण वि गूह्यि ्य वि पृच्छवि । भुङ्क्ते —---- – प्रीवि लक्षणि्।
ख - ि िाः! कथयवि भििी सिाथ सम्यक् परां ियां भििीं न ज नीिाः । भित्य ाः पटरचयाः काः
?
ग - र ज्ञाः सुखे प्रज न ां सुखां भिवि ।
।।।- क- ल भाः ख- विथाः ग - ियि् ।।
---------------------------------------------------------------------------------------
102
15. प्रश्नवनि ाणि्
1. ककि्- क्य
ककि् अव्यय य क्य क प्रयोग उन शब्दों के स थ ककय ज ि है वजनक उपयोग हि
स ि न्य व्यिह र जैसे ख ने-पीने, पहनने आकद िें ककय ज ि है | ककसी क ि को करने के
वलए भी ककि् अव्यय क प्रयोग करिे हैं । जैसे-
1) िोहनाः फलां ख दवि । िोहनाः ककां ख दवि ?
2) लि पत्रां वलखवि । लि ककां वलखवि ?
3) उि जलां वपबवि । उि ककां वपबवि ?
2. कु त्र- कह ाँ
जह ाँ पर कोई व्यवक्त य िस्िु हो और जह ाँ कोई ज रह हो िह ाँ पर कु त्र अव्यय क
प्रयोग होि है ।
जैसे- 1) िहेशाः विद्य लयां गच्छवि । िहेशाः कु त्र गच्छवि ?
2) रि गृहे अवस्ि । रि कु त्र अवस्ि ?
103
3) फल वन िृक्षे सवन्ि । फल वन कु त्र सवन्ि ?
4. कथि्- कै से-
कथि् अव्यय क प्रयोग ( कोई क ि कै से हुआ ) के ब रे िें ज नक री के वलए और
वजस िस्िु की िदद से कोई क ि ककय ज ए िह ाँ पर भी कभी कभी होि है । जैसे-
1)उि नगरां बसय नेन गच्छवि । उि नगरां कथां गच्छवि ?
2) िृगाः िीव्रां ध िवि । िृगाः कथां ध िवि
3) िवहल वद्वचकक्रकय नगरां गच्छवि । िवहल कथां नगरां गच्छवि
5. कु िाः- कह ाँ से
वजस जगह से कोई व्यवक्त य िस्िु आ रही हो िह ाँ पर कु िाः अव्यय क प्रयोग होि है
अथि पञ्चिी विभवक्त ि ले शब्द की जगह पर भी इसक प्रयोग होि है । जैसे-
1) अजयाः ग्र ि ि् आगच्छवि । अजयाः कु िाः आगच्छवि ?
2) गांग वहि लय ि् वनस्सरवि । गांग कु िाः वनस्सरवि ?
3) फलां िृक्ष ि् पिवि । फलां कु िाः पिवि ?
104
सिय से सांबवन्धि शब्दों के स्थ न पर ‘कद ’ प्रश्नि चक अव्यय क प्रयोग होि है –
सिय से सांबवन्धि कु छ शब्द हैं जैसे – पुर , एकद , अधुन , इद नीं, अष्टि दने , स यां, र त्रौ
आकद |
105
5. वशक्षकाः छ त्रौ प ियवि । वशक्षकाः कौ प ियवि
6. देिाः िृक्ष न् गणयवि । देिाः क न् गणयवि ?
7. र िाः देिेन सह गच्छवि । र िाः के न सह गच्छवि ?
8. रिेशाः कण ाभ्य ां शृणोवि । रिेशाः क भ्य ां शृणोवि ?
9. गजाः चरणैाः चलवि । गजाः कै ाः चलवि ?
10. वपि पुत्र य फलां दद वि । वपि कस्िै फलां दद वि ?
11. धवनकाः वनधान भ्य ां धनां यच्छवि । धवनकाः क भ्य ां धनां यच्छवि ?
12. वशक्षकाः छ त्रेभ्याः फल वन आनयवि । वशक्षकाः के भ्याः फल वन आनयवि ?
13. उिेशाः ग्र ि ि् नगरां गच्छवि । उिेशाः कस्ि ि् नगरां गच्छवि ?
14. हस्ि भ्य ां पुस्िकां पिवि । क भ्य ां पुस्िकां पिवि ?
15. िृक्षेभ्याः पत्र वण पिवन्ि । के भ्याः पत्र वण पिवन्ि ?
16. देिस्य वित्रां िोहनाः अवस्ि । कस्य वित्रां िोहनाः अवस्ि ?
17. र िलक्ष्िणयोाः वपि दशरथाः अवस्ि । कयोाः वपि दशरथाः अवस्ि ?
18. छ त्र ण ां विद्य लयाः नगरे अवस्ि । के ष ां विद्य लयाः नगरे अवस्ि ?
19. ग्र िे जन ाः सवन्ि । कवस्िन् जन ाः सवन्ि ?
20. िृक्षयोाः फल वन सवन्ि । कयोाः फल वन सवन्ि ?
21. पिािेषु वहि लयाः उन्निाः अवस्ि । के षु वहि लयाः उन्निाः अवस्ि ?
106
2. ब वलके पुस्िकां पििाः । के पुस्िकां पििाः ?
3. िवहल ाः भोजनां पचवन्ि । क ाः भोजनां पचवन्ि ?
4. उि रि ां पश्यवि । उि क ां पश्यवि ?
5. गीि रोटिक ाः ख दवि । गीि क ाः ख दवि ?
6. सीि वद्वचकक्रकय गच्छवि । सीि कय गच्छवि ?
7. वशवक्षक लि यै फलां दद वि । वशवक्षक कस्यै फलां दद वि ?
8. छ त्र ाः कक्ष य ाः बवहाः गच्छवन्ि । छ त्र ाः कस्य ाः बवहाः गच्छवन्ि ?
9. सीि य ाः वपि जनकाः अवस्ि । कस्य ाः वपि जनकाः अवस्ि ?
10. अयां ब वलक न ां विद्य लयाः अवस्ि । अयां क स ां विद्य लयाः अवस्ि ?
11. कक्ष य ां छ त्र ाः सवन्ि । कस्य ां छ त्र ाः सवन्ि ?
107
(क) शकिीय नि् कज्जलिवलनां धूि िुञ्चवि। उत्तर- कीदृशि्
(ख) उद्य ने पवक्षण ां कलरिां चेिाः प्रस दयवि। उत्तर- के ष ि्
(ग) प ष णीसभ्यि य ां लि िरुगुल्ि ाः प्रस्िरिले वपष्ट ाः सवन्ि। उत्तर- के
(र्) िह नगरे षु ि हन न ि् अनन्ि पङ्क्तयाः ध िवन्ि। उत्तर- के षु कु त्र
(ङ) प्रकृ त्य ाः सवन्नधौ ि स्िविक सुखां विद्यिे। उत्तर- कस्य ाः
(क) ित्र र जससांहो न ि र जपुत्राः िसवि स्ि। उत्तर-ित्र ककि् न ि र जपुत्राः िसवि स्ि?
(ख) बुवद्धििी चपेिय पुत्रौ प्रहृिििी। उत्तर- बुवद्धििी कय पुत्रौ प्रहृिििी?
(ग) व्य घ्रां दृष्ट्ि धूिााः शृग लाः अिदि्। उत्तर- कि् दृष्ट्ि धूिााः शृग लाः अिदि्?
(र्) त्िां ि नुष ि् विभवष। उत्तर- त्िि् कस्ि ि् विभेवष?
(ङ) पुर त्िय िह्यां व्य घ्रत्रयां दत्ति्। उत्तर- पुर त्िय कस्िै व्य घ्रत्रय दत्ति्?
(क) साः कृ च्रेण भ रि् उद्वहवि। उत्तर- साः के न/कथि् भ रि् उद्वहवि?
(ख) सुर वधपाः ि ि् अपृच्छि्? उत्तर- काः ि ि् अपृच्छि्?
(ग) अयि् अन्येभ्यो दुबालाः। उत्तर- अयि् के भ्याः/ के भ्यो दुबालाः?
(र्) धेनून ि् ि ि सुरवभाः आसीि् ? उत्तरि्- क स ि् ि ि सुरवभाः आसीि्?
(ङ) सहस्र वधके षु पुत्रेषु सत्स्िवप स दु:खी आसीि्। उत्तरि्- कवि पुत्रष
े ु सत्स्िवप स दु:खी
आसीि्?
---------------------------------------------------------------------------------------
108
16. श्लोक-अन्ियाः अथि भ ि थााः
अन्ियाः- सांस्कृ िभ ष य ां पद न ां ि क्ये स्थ नवनध रा णां आिश्यकां न भिवि | ि वन पद वन
ि क्ये यत्र-ित्र भवििुिहावन्ि | िेष िेि पद न ां सरल थास्य दृष्य यो्यक्रि नुस रां पुनाः
स्थ पनिेि ‘ अन्ियाः’ इवि कथ्यिे | िेन श्लोक थं अिगिन य स रल्यां भिेि् |
यथ - न वह सुप्तस्य ससांहस्य प्रविशवन्ि िुखे िृग ाः ॥
अस्य वहन्दीभ ष य ि् अथााः ििािे – ‘नहीं सोए ससांह के प्रिेश करिे हैं िुह
ाँ िें वहरण ’
अनेन प्रक रे न अथाबोधने क टिन्यां प्रिीयिे |
अिाः अस्य अन्ियाः कक्रयिे – िृग ाः सुप्तस्य वसन्हस्य िुखे न प्रविशवन्ि |
अन्ियस्य अथााः िु- ‘वहरण सोए हुए शेर के िुह
ाँ िें प्रिेश नहीं करिे हैं |’
अस्य ि क्यस्य बोधने सरलि अवस्ि | एिदेि अन्ियाः भिवि |
109
स एि िवह्नदाहिे शरीरि्।।
अन्ियाः
नर ण ां देहविन शन य (i) ________ शत्रुाः देहवस्थिाः (ii) ________। यथ क ष्ठगिाः
वस्थिाः (iii) ________ क ष्ठि् एि (iv) ________ (िथैि शरीरस्थाः क्रोध:) शरीरां दहिे।
िञ्जूष - िवह्नाः, प्रथिाः, दहिे, क्रोधाः
4. सेवििव्यो िह िृक्षाः फलच्छ य सिवन्ििाः।
यकद दैि ि् फलां न वस्ि छ य के न वनि याि॥
े
अन्ियाः
फलच्छ य सिवन्ििाः (i) ________ सेवििव्याः (ii) ________ यकद फलां (iii) ________
(िृक्षस्य) (iv) ________ के न वनि यािे।
िञ्जूष - छ य , िह िृक्षाः, न वस्ि, दैि ि्।
5. विवचत्रे खलु सांस रे न वस्ि ककवञ्चवन्नरथाकि्।
अश्वश्चेद् ध िने िीराः भ रस्य िहने खराः॥
अन्ियाः
विवचत्रे (i) ________ खलु ककवञ्चि् (ii) ________ न वस्ि। अश्वाः चेि् (iii) ________
िीराः (िर्हा) भ रस्य िहने (iv) ________ (िीराः) अवस्ि।
िञ्जूष - वनरथाकां, खराः, ध िने, सांस रे
6.दुष्कर ष्यवप कि वा ण िवििैभिश वलनाः।
नीसिां युसक्तां सि लम्ब्य लीलयैि प्रकु िाि॥
े
अन्ियाः
िवि िैभि श वलनाः (जन ) (i) ________ युसक्तां (ii) ________ दुष्कर वण (iii) ________
कि ावण (iv) ________ एि प्रकु िािे।
िञ्जूष - लीलय , नीवि, अवप, सि लम्ब्य
उत्तर वण-
1. (i) शरीरस्थाः(ii) आलस्यि्(iii) बन्धुाः (iv) कृ त्ि
2. (i) उकद्दश्य (ii) अपगिे (iii) िनाः (iv) कथि्
3. (i) प्रथिाः (ii) क्रोधाः (iii) िवह्नाः (iv) दहिे
4. (i) िह िृक्षाः (ii) दैि ि् (iii) न वस्ि (iv) छ य
5. (i) सांस रे (ii) वनरथाकां (iii) ध िने (iv) खराः
110
6. (i) नीवि (ii) सि लम्ब्य (iii) अवप (iv) लीलय
भ ि थालख
े नि्
(ख) िञ्जूष य ाः स ह य्येन अधोवलवखिेषु श्लोकभ ि थेषु टरक्तस्थ न वन पूरवयत्ि पुनाः
वलखि-
1. गुणी गुणां िेवत्त न िेवत्त वनगुण
ा ो,
बली बलां िेवत्त न िेवत्त वनबालाः।
वपको िसन्िस्य गुणां न ि यसाः,
करी च ससांहस्य बलां न िूषकाः॥
भ ि था:
सांस रे गुणि न् जनाः एि (i) ________ िहत्िां ज न वि, गुणैाः हीनाः जनाः न ज न वि, (ii)
________ एिां बलस्य िहत्िां ज न वि बलहीनाः न ज न वि। (iii) ________ िहत्िां
कोककलाः एिां ज न वि क काः न एििेि ससांहस्य बलां िु गज एि ज न वि (iv) ________ िु
कद वप न ज न वि।
िञ्जूष - बलि न्, िूषकाः, गुणस्य, िसन्िस्य
111
वपि ऽस्य ककां िपस्िेपे इत्युवक्तस्ित्कृ िज्ञि ॥
भ ि था:-ब ल्ये क ले स्िपुत्र य (i) __________ द िुां वपि अविकष्टां सहि नाः सिाविधां िपाः
कृ त्ि अवप साः (ii) __________ वशक्षवयिुां यििे। यकद िस्य पुत्राः एिन्ि त्रि् एि स्िरे ि् यि्
(iii) __________ िस्िै (विद्य द न य) िहि् िपाः अकरोि्, इयि् (iv) __________ एि
िस्य पुत्रस्य कृ िज्ञि प्रकियवि।
िञ्जूष - उवक्ताः, स्िसन्िसिां, वपि , विद्य धन।
112
उत्तर वण:
1. (i) गुणस्य (ii) बलि न् (iii) िसन्िस्य (iv) िूषक:
2 (i) अन्यैाः (ii) भ रां (iii) सांकेिि् (iv) फलद वयक ाः
3. (i) विद्य धनां (ii) स्िसन्िवि (iii) वपि (iv) उवक्ताः
4. (i) सरलि (ii) ि ण्य ि् (iii) िनवस्िनाः (iv) सित्त्िि् (सि नि )।
5. (i) ि णी (ii) किोर ां (iii) िूखब
ा वु द्धाः (iv) अपक्वां
6. (i) धनेन (ii) नीिे: (iii) कटिनिि वन (iv) प्रकु िावन्ि
---------------------------------------------------------------------------------------
113
17. र्िन क्रि नुस रां ि क्यलेखनि्
आिश्यकाः वनदेश ाः –
⮚ प िस्य उवचिक्रिाः एि र्िन क्रिाः कथ्यिे |
⮚ परीक्ष य ां अष्टि क्य न ां र्िन नुस रां पुनाः स्थ पनां चिुण ं अङ्क न ां भिवि |
⮚ र्िन क्रिलेखन य पञ्च प ि ाः सवन्ि – बुवद्धबालििी सद , वशशुल लनां, जननी
िुल्यित्सल , सौह दंप्रकृ िेाः शोभ ,विवचत्राः स क्षी च |
⮚ एिेष ां प ि न ां ध्य नपूिक
ा ां क्रि: स्िरणीय: |
114
3. र्िन क्रि:
(क) साः पुत्रां िष्टु ि् पद विरे ि प्र चलि्।
(ख) िवस्िन् गृहे कश्चन चौराः गृह भ्यन्िरां प्रविष्टाः।
(ग) चौराः एि उचों ैाः क्रोवशिुि रभि।
(र्) कश्चन वनधानाः जनाः वित्ति् उप र्जािि न्।
(ङ) र वत्रवनि सां किुाि् कवञ्चद् गृहस्थिुप गिाः।
(च) एकद िस्य पुत्राः ि णाः ज ि :।
(छ) चौरस्य प दध्िवनन अविवथाः प्रबुद्धाः।
(ज) ग्र िि वसनाः िर किविवथिेि चौरां ित्ि ऽभल्सायन्।
4. र्िन क्रि:
(क) िवस्िन् कदने त्िय ऽहां चोटरि य ाः िञ्जूष य ाः ग्रहण द् ि टरिाः।
(ख) न्य य धीशाः उभ भ्य ां पृथक् -पृथक् वििरणां श्रुिि न्।
(ग) न्य य धीशेन पुनाः िौ र्िन य ाः विषये िक्तु ि कदष्टौ।
(र्) न्य य धीशाः प्र ि ण भ ि ि् वनणेिुि् न शक्नोि्।
(ङ) स शिाः प्र ि रकिपस या न्य य धीशि् सत्यां वनिेकदिि न्।
(च) अन्येधुाः िौ न्य य लये स्ि-स्ि-पक्षां पुनाः स्थ वपििन्िौ।
(छ) न्य य धीशाः आरवक्षणे क र दण्डि् आकदश्य िां जनां ससम्ि नां िुक्ति न्।
(ज) न्य य धीशाः आरवक्षणि् अवभयुक्तां च िां शिां न्य य लये आनेिुि् आकदष्टि न्।
5. र्िन क्रि:-
(क) बुवद्धबालििी िवन्ि सिाक येषु सिाद ।
(ख) िस्यभ य ा बुवद्धििी आसीि्।
(ग) ि गे स एकां व्य घ्रां ददशा।
(र्) बुवद्धििी व्य घ्रज द् भय ि् पुनरवप िुक्त ऽभिि्।
(ङ) र जससांहाः न ि र जपुत्राः िसवि स्ि।
(च) अवस्ि देउल ्यो न ि ग्र िाः।
(छ) स पुत्रद्वयोपेि वपिृहां प्रवि चवलि ।
(ज) स ध ष्ट्रय ि् पुत्रौ चपेिय प्रहत्य जग द।
115
6. र्िन क्रि: -
(क) कथि् एकै कशाः व्य घ्रभक्षण य कलह कु रुथाः।
(ख) कवश्चि् धूिााः शृग लाः हसन्नां अिदि्।
(ग) त्िि् ि नुष दवप वबभेवष।
(र्) िस्यद्वभ य ा बुवद्धििी पुत्रयोपेि वपिृह प्रवि चवलि।
(ङ) भि न् कु िाः भय ि् पल वयिाः।
(च) िौ एि विभज्य भुज्यि ि्।
(छ) व्य घ्राः भय कु लवचत्तो नष्टाः
(ज) बुवद्धििी व्य घ्रज द् भय ि् पुनरवप िुक्त ऽभिि्।
1. उत्तर वण
(क) बुवद्धििी पुत्रद्वयेन उपेि वपिृगह
ृा प्रवि चवलि ।
(ख) िोगे स एकां व्य घ्रि् अपश्यि्।
(ग) व्य घ्रां दृष्ट्ि स पुत्रौ ि डयन्िी उि च-अधुन एकिेि व्य घ्रां विभज्य भुज्यि ि्।
(र्) व्य घ्राः व्य घ्रि री इयविवि ित्ि पल वयिाः।
(ङ)जम्बुककृ िोत्स हाः व्य घ्राः पुनाः क ननि् आगच्छि्।
(च) प्रत्युत्पन्निविाः स शृग लां आवक्षपन्िी उि च।
(छ) त्िां व्य घ्रत्रयि् आनेिुां’ प्रविज्ञ य एकिेि आनीिि न्।
(ज) गलबद्धशृग लक: व्य घ्राः पुनाः पल वयिाः।
2. उत्तर वण
(क) कश्चन वनधानाः जनाः वित्तिुप र्जािि न्।
(ख) िेन वित्तेन ित्पुत्रि् िह विद्य लये प्रिेशां द पवयिुां सफलाः ज िाः।
(ग) िि् िनयाः छ त्र ि से िसवि स्ि।
(र्) ित्र वनिसन् अध्ययने सांलिाः सिभूि।्
(ङ) एकद िस्य पुत्राः रु्णाः अभिि्।
(च) पुत्रस्य रु्णि ि कण्या साः व्य कु लाः सञ्ज िाः।
(छ) वपि पुत्रां िष्टु ां च प्रवस्थिाः।
116
(ज) साः बसय नां विह य पद विरे ि प्र चलि्।
3. उत्तर वण
(क) कश्चन वनधानाः जनाः वित्ति् उप र्जािि न्।
(ख) एकद िस्य पुत्राः रु्णाः ज िाः।
(ग) साः पुत्रां िष्टु ि् पद विरे ि प्र चलि्।
(र्) र वत्रवनि सां किुि
ा ् कवञ्चद् गृहस्थिुप गिाः।
(ङ) िवस्िन् गृहे कश्चन चौराः गृह भ्यन्िरां प्रविष्टाः।
(च) चौरस्य प दध्िवनन अविवथाः प्रबुद्धाः।
(छ) चौराः एि उचों ैाः क्रोवशिुि रभि।
(ज) ग्र िि वसनाः िर किविवथिेि चौरां ित्ि ऽभत्सायन्।
4.उत्तर वण
(क) न्य य धीशाः उभ भ्य ां पृथक् -पृथक् वििरणां श्रुिि न्।
(ख) न्य य धीशाः प्र ि ण भ ि ि् वनणािि
ु ् न शक्नोि्।
(ग) अन्येयाःु िौ न्य य लये स्ि-स्ि-पक्षां पुनाः स्थ वपििन्िौ।
(र्) न्य य धीशाः आरवक्षणि् अवभयुक्तां च िां शिां न्य य लये आनेिि
ु ् आकदष्टि न्।
(ङ) िवस्िन् कदने त्िय ऽहां चोटरि य ाः िञ्जूष य ाः ग्रहण द् ि टरिाः।
(च) न्य य धीशेन पुनाः िौ र्िन य ाः विषये िक्तु ि कदष्टौ।
(छ) स शिाः प्र ि रकिपस या न्य य धीशि् सत्यां वनिेकदिि न्।
(ज) न्य य धीशाः आरवक्षणे क र दण्डि् आकदश्य िां जनां ससम्ि नां िुक्ति न्।
5.उत्तर वण
(क) अवस्ि देउल ्यो न ि ग्र िाः।
(ख) र जससांहाः न ि र जपुत्राः िसवि स्ि।
(ग) िस्यभ य ा बुवद्धििी आसीि्।
(र्) स पुत्रद्वयोपेि वपिृह प्रवि चवलि ।
(ङ) ि गे स एकां व्य घ्र ददशा।
(च) स ध ष्ट्र ि् पुत्रौ चपेिय प्रहत्य जग द।
(छ) बुवद्धििी व्य घ्रज द् भय ि् पुनरवप िुक्त ऽभिि्।
(ज) बुवद्धबालििी िवन्ि सिाक येषु सिाद ।
117
6. उत्तर वण
(क) िस्य भ य ा बुवद्धििी पुत्रद्वयोपेि वपिृहां प्रवि चवलि ।
(ख) कथि् एकै कशाः व्य घ्रभक्षण य कलहां कु रुथाः।
(ग) िौ एि विभज्य भुज्यि ि्।
(र्) व्य घ्राः भय कु लवचत्तो नष्टाः।
(ङ) कवश्चि् धूिाःा शृग लाः हसन्नां अिदि्।
(च) भि न् कु िाः भय ि् पल वयिाः।
(छ) त्िि् ि नुष दवप वबभेवष।
(ज) बुवद्धििी व्य घ्रज द् भय ि् पुनरवप िुक्त ऽभिि्।
---------------------------------------------------------------------------------------
118
18- प्रसङ्ग नुकूलि् अथाचयनि्
ध्य िव्य ाः वबन्दिाः –
अवस्िन् िषे एषाः निीनाः प्रश्नप्रक राः अवस्ि।
अवस्िन् प्रश्ने कस्यवचद् पदस्य कक्रय पदस्य ि प्रसङ्ग नुस रां उवचि थास्य चयनां
करणीयां भिवि।
प्रश्नस्य सिुवचिोत्तर य प ठ्यक्रिे वनध टा रि न ां प ि न ां पिनां आिश्यकां भिवि।
प्रश्ने प्रदत्तां ि क्यां पटित्ि अथाचयन य प्रदत्तपदस्य अथााः वचन्िनीयाः पुनश्च
उत्तरचयनिवप िदनुस रिेि किाव्यि्।
यथ - िस्य भ य ा बुवद्धििी वपिुगृाहां प्रवि चवलि ।
-इदां ि क्यां “बुवद्धबालििी सद ” इवि प िस्य ििािे।
- प िे र जससांहस्य भ य ा अथ ाि् पत्नी स्िवपिुगृाहां प्रवि गच्छवि इवि अस्ि वभाः
पटििि्।
- अिाः भ य ा पदस्य उवचि थााः ‘पत्नी’ इवि ििािे।
119
(ग) द रुणौ (र्) र िलक्ष्िणौ
उत्तर वण –
(i) (ख) रक्ष पुरुषाः (ii) (ग) रूपििी स्त्री (iii) (ख) िीव्रि् (iv) िदवि (v) (ख) पुत्रौ
अनेनैि प्रक रे ण परीक्ष दृष्य अथाचयन य सांभ विि न ां पद न ां स थं सूची अत्र दीयिे
पद वन - अथ ाःा कक्रय पद वन - अथ ाःा
दुिाहां - दुष्करां , कटिनां िुदवन्ि - पीडयवन्ि
दुद ान्िैाः - भयन्करै ाः वित्रस्ि न् - विशेषण
े भीि न्
दशनैाः - दन्िैाः विधूय – आकष्या
िक्रां - कु टिलां पोथवयत्ि - पीडवयत्ि
क न्ि रे - िने , क नने जलधौ – स गरे
वनसगे - प्रकृ त्य ां शफ़री – लर्ुित्स्याः
रस लाः - आम्रां भूटर – पय ाप्ति्
भृशां - अवधकां / पय ाप्तां प्रबुद्धाः – ज गृिाः
जम्बूकाः - शृग लाः अथाक श्येन – धनस्य अभ िेन
भ विनी – रूपििी स्त्री प्रख प्य - स्थ पवयत्ि
भ य ा - पत्नी उपेत्य - सिीपां गत्ि
ययौ - गििन्िौ विजने – वनजाने
चपेिय – करप्रह रे ण िनुजस्य – पुत्रस्य
अत्तु-ां ख कदिुां अध्िवन – ि गे
ईक्षिे - पश्यवि अम्बूवन – जल वन
िेल – सियाः िोयैाः – जलैाः
िूणाि् – िीव्रि् आपेकदरे – प्र प्िन्िाः
अध्य वसिुि् - उपिेष्टु ां पुरन्दरां – इन्िि्
अङ्कां – क्रोडां पशुपविाः – वशिाः
वहिकराः – चन्िाः पटरष्िज्य – आवलङ्गनां कृ त्ि
सहस्रदीवधविाः – सूर् िृषाः - िृषभाः , बलीिदााः
आविर सन न् – प्रकटिि ाः सुर वधपाः/ि सिाः/आखण्डलाः– इन्िाः
120
िेदन ां -पीड ां जिेन – िीव्रगत्य
कृ षीिलाः – कृ षकाः अिसीदवि – दुखां अनुभिवि
ि यसाः – क काः िेवत्त – ज न वि
अपगिे- सि प्ते न ग ाः –गज ाः
उदीटरिाः – कवथिाः िुरग ाः – अश्व ाः
दैि ि् – भ्य ि्
121
अ) िसु ब) ि सुदि े ाः स) शक्राः ।
(र्)- (अवचर ि्) प्रिषााः सिज यि।
अ) शनैाः ब) शीघ्रि् स) वचरे ण
122
अ) आयुाः ब)ि युाः स) स्न युाः ।
(ग) ब लभ ि ि् ( वहिकराः) िस्िके ध यािे ।
अ) सूयााः ब) वहि लयाः स) चन्िाः ।
(र्)वहिकराः(पशुपविाः) के िकच्छदत्िां व्रजवि।
अ) वशिाः ब) पशुाः स) प्रसूनि् ।
123
अ) क काः ब) शुकाः स) वपकाः।
(ख) ससांहस्य बलां (करी) ज न वि ।
अ) खराः ब) कराः स) गजाः।
(ग) ( हय ाः) बोवधि ाः िहवन्ि।
अ) हटरण ाः ब) अश्व ाः स) न ग ाः ।
(र्) (िवह्नाः) शरीरां दहिे ।
अ) ि युाः ब) आयुाः स) अविाः।
124
15- क) िेन (अध्िवन) यदुक्तां िद्वणाय वि ।
अ) ि गे ब) आकशे स) िने।
ख) सुरभेाः दश ां दृष्ट्ि ( सुर वधपाः ) अपृच्छि् ।
अ) विष्णुाः ब) इन्िाः स) ब्रह्म ।
ग) साः (कृ च्रेण) भ रां उद्वहवि ।
अ) स रल्येन ब) किाण स) क टिन्येन ।
र्) दुबल
ा ाः िृषभाः ( जिेन) गन्िुिशक्ताः आसीि् ।
अ) शनैाः ब) िन्दां स) िीव्रगत्य ।
125
अ - विथ्य ब - परस्परि् स - िीनाः ।
उत्तरि्-
1 - उत्तरि् -क- कटिनि् ख- अवधकि् ग- िृषभाः र्- सत्िरि् ।
2 - उत्तरि् - क- गिििी ख- आम्रि् ग- ध्िवनि् र्- दुबल
ा ाः।
3 - उत्तरि् -क- अहर्नाशि् ख- उक्तििी ग- इन्िाः र्- शीघ्रि् ।
4 - उत्तरि् –क- प्रसन्नो भूत्ि ख- पल वयिाः ग- य त्र र्- प्रकृ त्य ि्
5 - उत्तरि् - क- उत्तरि् ख- सन्िियाः ग- दन्िैाः र्- िने ।
6 - उत्तरि् - क-आम्रि् ख- रे लय नि् ग-कु टिलि् र्- इच्छ वि ।
7 - उत्तरि्- क- प त्रि् ख- आयुाः ग- चन्िाः र्– वशिाः ।
8 - उत्तरि्- क- सूयाःा ख- सहोदरौ ग- सहदरौ र्- वशष्ट च राः ।
9 - उत्तरि् - क- ज्ञ िुि् ख- वित्रि् ग- वनदायाः र्- िदवि ।
10 - उत्तरि् - क- पुत्रौ ख- प ियवि ग- लक्ष्िणाः र्- गुरुाः ।
11 - उत्तरि् - क- क काः ख- गजाः ग- अश्व ाः र्- अविाः ।
12 - उत्तरि् - क- सूयाःा ख- गदाभाः ग- वनभीकाः र्- शैशिे ।
13 - उत्तरि् - क- सिािाः ख- िेर् ाः ग- पक्षी र्- भ्रिर ाः ।
14 - उत्तरि् -क- अवधकि् ख-स्थ वपि ि् ग- पुत्रस्य र्- श्रुत्ि ।
15 - उत्तरि् - क- ि गे ख - इन्िाः ग - क टिन्येन र् - िीव्रगत्य ।।
16 - उत्तरि् - क- शीघ्रां ख - िष ा ग - इन्िाः र् - अगच्छि् ।
17 - उत्तरि् - क - यिर जाः ख - िदवस ग - असत्यि् र् - सिथ ाःा ।
18 - उत्तरि् - क - उवचिि् ख - योगी ग -सिुिे र् - परस्परि् ।।
शब्द = अथा
1- ियस्य = वित्रि् सुहृि् ,सख ( दोस्ि)
2- भणवि = िदवि,कथयवि ( बोलि है) 3- 3- ियाः = आयुाः ( उम्र Age)
4- वनरनुक्रोशाः= वनदायाः
5- पशुपवि:= वशिाः
6-पुन वि = पवित्रयवि( पवित्र करि है)
126
7- रियवि=आनन्दयवि ( खुश करि है)
8- वहिकराः= चन्िाः,वनश कराः,सुध कराः
9- यिलौ= सहोदरौ ( जुडिे भ ई)
10- सौदयौ = सौदयौ ( सग भ ई)
11- सहस्रदीवधवि:= सूयाःा
12- सिुद च राः= वशष्ट च राः
13- सौविवत्राः = लक्ष्िणाः
14-अङ्कि् = क्रोडि् ( गोद)
15- वचरां = बहुक लपयान्िि् ( लम्बे सिय िक)
16- प्रवििचनि् = उत्तरि्
17- द रकौ= पुत्रौ
18-अध्य स्यि ि् =उपविश्यि ि् = बैिें
19- श्ल घ्य = प्रशांसनीय
20- प्रि साः= य त्र
21-उद त्तरम्याः= अवि रिणीयाः = अवि सुन्दर)
22-उपसृत्य =सिीपां गत्ि =प स ज कर
23- िसुििीि् = पृथ्िीि् ,धर ि् *धरिी *
24-त्िरयवि= शीघ्रि ां करोवि
25- स्िगिि्/आत्िगिि् = िन ही िन
26- अवन्िकि्= सिीपि् = प स
27-विहरणि्= भ्रिणि् = र्ूिन
28- पटरकराः =सांयोगाः
29-सरवसरुहन भस्य = विष्णोाः
30-कु िु म्बाः= पटरि राः,िांशाः
31-उप ध्य याः= आच यााः, गुरुाः
32- अिि वनि =विरस्कृ ि ( अपि न करन )
33-अम्ब = ि ि ,जननी
34- िेकदिुि=
् ज्ञ िुि् ( ज नने के वलए)
127
35-अपत्यि् = सन्िवि = बचों े
36-अवधवक्षपवि= वनन्दवि,फिक रिी है
37- वनभात्सायवि=िजायवि = धिक िी है
38-द रुणाः= कष्टद यकाः
----------
धन्यि द ाः
128
िहत्त्िपूण ााः अविवलङ्क ाः
1. https://www.learninsta.com/class-10-
sanskrit-notes
2. https://edurev.in/studytube
3. https://www.ncertbooks.guru/ncert-
solutions-for-class-10-sanskrit
4. https://www.learncbse.in/ncert-
solutions-for-class-10-sanskrit
5.https://www.youtube.com/@SamskritTut
orials
129